तेल का खेल

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* तेल का होता बहुत बड़ा खेल,करा देता है अनजानों में मेल। तेल आता है बहुत जगह काम,लगाने, खाने, मालिश के काम। ये तेल होता…

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मिली जो तुमसे नज़र

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** हो रहा शुरू,एक नया-सा सफरन तुम्हें है खबर,न हमें है खबरबसंती पुरवाई का,है असरन तुम्हें है खबर,न हमें है खबर। मसरूफ-सी ज़िंदगी में,कुछ दस्तक दी फुर्सत नेबैठे…

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रुला जाते हैं आँसू भी खुशी के

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* रुला जाते हैं आँसू भी खुशी के,खिला जाते हैं सुकून भी हँसी केसृजित साजन मिलन से विहँसी खुशी,पलकों छिपे प्यार बहते आँखों के। सहे…

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बात पते की

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** कहती पते की बात बड़ी ही ज़रूरी आज,बड़े बुजुर्ग ध्यान लें ज़रा सुनिएनहीं है किसी की कोई बात ये खरी है कही,अपनी कहानी ख़ुद आप स्वयं लिखिए।…

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आभासी दुनिया

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** जिंदगी तरसती है,दो पल बातों के लिएमाना तुम्हारे अपनेभले ही चला रहे हों वाट्सअप,मेहमाननवाजी पर ध्यान कहाँ ?खट-पट होती रोज पति-पत्नी में,पत्नी जरा छोड़े मोबाइलतो, कोई काम…

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अहसास तेरा

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** दूर होकर भी जो,तुम्हारे पास होने काकराता है आभास,वही कहलाता है अहसास। जब भी मुझे तुम्हारे पास,होने का एहसास होता हैवह पल मेरे लिए,बहुत खास…

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मन ही मन मैं वही

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* अक्स देख कर,अपना आईने मेंखुद-ब-खुद से,रूबरू हो गई। समय की लकीरें,खींच गई चेहरे पेकुछ चाँदनी लट,बालों पर खिल गई। कमसिन कदम अब,भारी-भरकम हो गएसुरमई नैनों के…

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जीवन सँवारा…मेरे पापा

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* जीवन सँवारा जिसने मेरा वही मेरे पापा हैं,जिसने मेरा बचपन खुशियों से महकाया, वही मेरे पापा हैं। छुटपन में जब खेली उनके कंधों पर,जिसने सारा प्यार…

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कैसा गिला

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** जिसके हाथ में पत्थर था, मैं उसी से मिला,जो खाली हाथ हो, उससे कैसा गिला ? वक्त-वक्त की बात है, देखिए तो सही जरा,साया ही करता, परछाई…

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जीना इसी का नाम

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ जीना इसी का नाम है,हार जीत दु:ख-सुखआते हैं और जाते हैं,लोग मिलते हैंबिछड़ते हैं,और ना जाने कहाँ खो जाते हैंपर इस जीवन में आगे बढ़ते…

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