फूलों को करीब से देखा है मैंने

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** जमाने के दस्तूर से इतर,मैंने फूलों से मोहब्बत की हैहर दिन यहां प्यार की महक,अपार मिलती है मुझे दिल से यहां। फूलों की दुनिया हमें,सुकून और खुशियों के संसार…

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गंतव्य की ओर

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** चल रही हूँनिरन्तर,चाहे अवरुद्ध होरास्ते जीवन के,कभी लड़ती हूँवक़्त से,कभी मन बच्चे कोफुसलाती हूँ,थक जाती हूँपर हारती नहीं। कुछ पलईश्वर के,चिंतन की गोद मेंसिर रख कर,सुस्ता लेती…

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धड़कन

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** हाय!दिल की धड़कन,बढ़ने लगी हैप्रिय की कमी,अब खलने लगी है। कैसे होगा,जीवन का गुजारातन्हाई भी,मचलने लगी है। यादों के सहारे,अब जी न सकूंगाहाय! विरह वेदना,बढ़ने लगी है।…

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इक अवसर बस मुझको दे दो…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** हृदय यंत्र सँगीत रखता हूँ,गा भी और बजा सकता हूँकुछ अक्षर की सीढ़ी दे दो,चाँद तक मैं जा सकता हूँलिख सकता हूँ गीत हजारों,स्वर प्रियवर बस मुझको…

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होली का हुड़दंग

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* रंगो का है ये अनोखा मेल,बचपन का है ये सुंदर खेल। देखकर सभी रह जाते हैं दंग,ऐसा होता है होली का हुड़दंग। छल-कपट से…

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पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के लिए आया दल

आगरा (उप्र)। कजाखस्तान से २ सदस्यीय दल १० दिन के पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान आया हुआ है। संस्थान प्रमुख बीना सिंह ने बताया कि इसमें डॉ. दरिगा…

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बसंती मनोरम

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** द्रुमदल शोभित बसंती,हवा में डोल-डोल कुछबोल रही अपने-आपसे,कुछ खोल-खोल। अमरई मंजरी मोहक,सुगंध में बखुलाईनवोलित‌ कोमल पत्ते,परंग‌ और तो औरमादक महुअन की खिल्ली,अति मधुरम फाग कीफगुनाहट से मदमाती,शुभीश…

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संकटमोचक भारत

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** अहसास नहीं दिखाते हुए,मददगार साबित होने कापराक्रम भारत की बढ़ती,अद्भुत ताकत और शौर्य कास्वर्णिम व नवीनतम आयाम है,वृहद और अतुल्य सोच कासबसे अनोखा व सुखद परिणाम है। दुनिया में…

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पिता की सीख ही सच्ची थी

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** कहलाना तो है मानव हमको,पर पशु सा हमें सब करने दोपिता हो तुम तो फिर क्या हुआ ?हमें मर्जी से ही सब करने दो। जन्म दिया…

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हिन्दी का उज्ज्वल भविष्य

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** बूँद कई सीपी में गिरती, पर स्वाति नक्षत्र न होता,मोती सभी बन जाएँ, यह भी संभव नहीं होता। हिन्दी को मत तौलो तुम आलू के तराजू से,यह…

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