वक्त़ जाया ना कर

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** फ़िज़ूल की बातों में,वक़्त जाया न करराह कोई मांगे,भरमाया न कर। वो करता है हिसाब,नेकी और बदी केकरके एहसान किसी पे,जताया न कर। सुना है, बिन…

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आत्म-अभिलाषा

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** कल को किसने देखा,जो हुआ उसे तो देखाजो हो रहा वो तो देख,रहा मैं और ये जमाना। प्रश्न उठे तो उठे वो,जो सटीक हो उसीके हित में…

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सूनापन

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** पत्नी के गुजर जाने का दुःख,घर सूना कर जाताअलमारी जब खोलता,साड़ियों से भरीकई रंग पसंद दिखाकर ली थी,वापस बंद कर देताक्योंकि आँखों में आँसू,भर देती रंगबिरंगी साड़ियाँ।…

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परम्परा

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यह जीवन स्त्रोत है,सम्पूर्ण सद्भाव और से,रहता ओत-प्रोत है,एक वैज्ञानिक विचार हैपूर्णतः सहमत होकर,रहने वाला अवतार है। परम्परा जीवन को आनंदित,कर खुशियाँ भर देती हैशालीनता और सुकून,आहिस्ता-आहिस्ता भरकरअन्तर्मन को,आनंदित…

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फाल्गुनी हवा

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** फाल्गुनी हवा-सी,तुम्हारी स्मृतियों की शीतलताकर देती है मन शीतल,तुम्हारी उन्मुक्त हँसीभर देती है वादियों की,खाली झोलियाँ। फूलों के उदास चेहरों पर,ठहर जाती हैओस की नन्हीं-नन्हीं बूंदें,झूमती लताओं…

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जीवन की दौड़…

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** जीवन की इस दौड़ में राही…तुझे अकेला चलना है। कहने को तो साथ हम हैं,तुझे किस बात का ग़म हैलेकिन इस जीवन की राह में…राही तुझे…

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दानवीर कर्ण

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** निर्मल नीर के सरोवर तीर,बैठ तरूवर की छायाकर्ण कर रहा था ध्यान,त्याग वसुधा की माया। तभी दैदिप्यमान रवि,फैल गया चहुँ ओरस्वंय दिनकर खड़े,सामने उसके ठौर। दिनकर बोले-'हे…

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एक दुर्भिक्षुक

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** सुचिभेद्य अंधकार को,भेदित‌ कर कलांतरसे दुर्भिक्ष को क्या पता ?कब कहां आराम है,या हो कोहराम…दुर्दिन के साए में,लिपटे खोज रहा!अपनी फूटी किस्मत पररो-रो पेट की,‌क्षुब्ध क्षुधा‌ मिटाने…

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तपस्विनी नारी

धन की देवी का आगाज, यह है समृद्ध नारी समाज। दया व विनम्रता है एक छिपा हुआ राज, नारी शक्ति की है एक उन्नत आवाज। दया, प्रेम और विनम्रता की…

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लोकतंत्र की हत्या!

लोकतंत्र की हत्या हो गई है, ये हत्या किसने की यह प्रश्न लेकर खड़ी है जनता, न्याय के दरबार में न्याय भी बिक चुका है, अन्याय के बाजार में। हमारा…

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