संभालने वाली नारी हो…
संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* अस्तित्व बनाम नारी (महिला दिवस विशेष)... नारी,सजती-संवरती…पल-पल बदलती,हर पल मचलतीजैसे धूप-छाँवखुद से निखरती,सजती-संवरतीबहती नदी-सी,चट्टानों के घाव सहती…फिर भी मासूम-सी दिखती,प्यारे से फूलों जैसी सदा खिलती…तुम नारी…