पूजा

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** भजन पूजन साधना सत्कार में,क्यों फँसा आराधना विस्तार में ?हृदय के गहरे अँधेरे भवन में,कौन-सी पूजा मगन तू सृजन में ? बंद पलकों के तुम्हारे नयन में,…

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नारी स्वयं कर्म-निष्ठा

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* अस्तित्व बनाम नारी (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष)..... नारी स्वयं कर्म निष्ठा है,नारी मजबूत है नारी त्याग का रूप है। नारी शांत है तो अशांत भी है,हर…

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परेशानी

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* कुछ बोलो तो परेशानी,न बोलो तो परेशानी। कुछ सुनो तो परेशानी,न सुनो तो परेशानी। कुछ सोचो तो परेशानी,न सोचो तो परेशानी। कुछ देखो तो परेशानी,न देखो…

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संग चंदा-तारे रहिए

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** छत पर आज,तारों से मुलाकात हुईटिमटिमाते-जगमगाते,अम्बर पर जैसे बरसात हुई। कल्पनाओं के पंख खोले,जैसे कोई खड़ा हो छत परबता रहा हो अपनी माँ को,एक-एक तारा गिनकर। घुप्प…

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चल चला चल…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ संवेदनाओं के इस भंवर में,घूम रहा है मनतू राही चल चला चल…। सफर ऐ मंजिल पाना,आसान नहीं है दिलतू राही चल चला चल…। जीवन की…

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मैं और मेरी शबनम

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** देखो मित्रों यह तस्वीर प्यारी,दिखाई दे रही है जोड़ी नूरानीमैं और शबनम प्यारी,सुनाई है मैंने हमारी प्रेम-कहानी। पहली बार मिले साल १९७३ में,सफर के पचास साल २०२३ मेंआदत…

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संभालने वाली नारी हो…

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* अस्तित्व बनाम नारी (महिला दिवस विशेष)... नारी,सजती-संवरती…पल-पल बदलती,हर पल मचलतीजैसे धूप-छाँवखुद से निखरती,सजती-संवरतीबहती नदी-सी,चट्टानों के घाव सहती…फिर भी मासूम-सी दिखती,प्यारे से फूलों जैसी सदा खिलती…तुम नारी…

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खुशहाली हो तुम

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** अस्तित्व बनाम नारी (महिला दिवस विशेष)... ममता की मूरत हो तुम,निश्छल प्रेम की सूरत हो तुमतुम ही सृष्टि की रचयिता,शुभ कार्य की जरूरत हो तुम। रणचंडी-महाकाली हो…

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परिंदा दिल

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* 'परिंदा' बना दिल खुदा ढूॅंढता है,रहें दिल में लेकिन जुदा, लापता है। नहीं दिख सके ज़िन्दगी को जहां में,भला ज़िन्दगी से हुई क्या खता है।'परिंदा'…

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कर्ण उवाच…

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* "हे कुँवारी माँ कुन्ती, मैं तुमसे पूछ रहा हूँ-किस पाप की सजा माँ तुम मुझे दे रही हो ?जन्म के साथ ही मुझे पानी…

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