आज मन विकल

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** आज मन मेरा विकल,करती सृजन इस आस मेंहो अगर यदि साथ मेरे,प्रकट हो प्रतिभास में। गूँजती बस एक ही ध्वनि,निज हृदय की प्यास मेंएक ही स्वर कर…

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हर चुभन से जगी चेतना

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* शूल की हर चुभन से जगी चेतना,जगा आत्मविश्वास फिर से संभलनाथा घायल क्षत-विक्षत तिरोहित भावना,मुश्किलों की खाईयों में औंधे मुँह गिरीअभिलाषी सोच और मेहनतकशी…

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साथ निभाना साथी

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ हर मुश्किल दौर में तुमसाथ निभाना साथी,कठिनाइयों के इस दौर मेंज़िन्दगी कितना इंतहान लेती है,पर मंज़िल की तलाश तो जारी है अभीआज दर्द हैं, दु:ख…

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पैबंद कहाँ नहीं हैं! जिन्दगी…

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** क्या कहते होथेगले लगे हुए कपड़े क्यों पहने हैं ?शायद तुम आजकल का फैशन नहीं जानते,नामचीन शो-रूम से ये कपड़े खरीदे हैं। तुम कहते हो पैबन्द लगे…

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शत-प्रतिशत मतदान करो

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** लोकतन्त्र के महापर्व में, आओ मिलकर सभी सहयोग करेंशत-प्रतिशत मतदान की पूर्ति हेतु,अपने मत का प्रयोग करें। सत्ता समर में कूदे दलों से, मत से निज…

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मोल एक ‘मत’ का…

डॉ. बालकृष्ण महाजननागपुर ( महाराष्ट्र)*********************************** एक वोट का मोल,तुम क्या जानो!मक्खन बाबू।अगर काबू में,रहे तो लाभवर्ना,बेकाबू हो तो हानि।यानी,एक वोट से चुनावजीता या हारा भी,जा सकता है।इसलिए-एक वोट का मोल…

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किताबें बोलती हैं

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* 'विश्व पुस्तक दिवस' विशेष.... किताबें बोलती हैं,कितने राज़ खोलती हैं। किताबें सुनती हैं,हमारी कहानियाँ कहती हैं। किताबें ज्ञान का समंदर है,उस भवसागर में गोता लगाने से…

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स्वयं की खोज

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* फूलों की खुशबू हवा केविपरीत फैलती नहीं,चाहे चंदन, चाहे तगारा होया चमेली या गुलाब हो,इनकी खुशबू अपने स्वभाव के विपरीत फैलती नहीं,परन्तु, अच्छे लोगों की सुगंधहवा…

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खिल उठता प्रेम

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** मौसम की बहारों पर चल,मंदिरों के आँगन चलपेड़ों के सहारे चल,प्रतीक्षालय के तले चलखिल उठता प्रेम। मोबाइल के संग,बाजारों की दुकानों के संगत्योहारों के संग,किसी बहाने के…

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चलो शपथ रक्षा की लें

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* 'पृथ्वी दिवस' विशेष.... सदा पृथ्वी की रक्षा करना,विचलित होती धरणी वरना। पोषण करती सबका माता,दूषित जल पर्वत नहीं भाता। धरा हमारी अद्भुत माता,सौर ग्रह है…

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