जब शाम होती है

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** दिमाग को कमाई फिकर रहती है,वापस घर आते-आते शाम होती है। दिनभर इसका अहसास नहीं होता,मन पेट के चक्कर में खो जाता है। समस्या नयी रोज सामने खड़ी…

0 Comments

दोस्तों के बीच मुस्कुराता रहा

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** तेरे दोस्तों के बीच तू खुशियाँ लुटाता रहा,परिवार की खुशियों को तू झुँझलाता रहाअब देख जरा तेरे दोस्तों की वो शान, ऐश्वर्य,तू स्वयं ही मूर्ख बनकर…

0 Comments

हर नारी को निहाल करो

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* संपूर्ण खुशियाँ नारी को, क्यों नहीं मिल पाती है माताकारण तो बता दो माता, क्योंकि आप हैं भाग्यविधाता। क्यों नारी को अधूरी जिंदगी, मिलती है भरे…

0 Comments

प्रचार

डॉ. बालकृष्ण महाजननागपुर ( महाराष्ट्र)*********************************** चुनावी कुरुक्षेत्र में,प्रचार का आखिरी दिन आयासभी पार्टियों की,प्रचार तोपेंबंद हो गई।अब बाकी थी,कत्ल की रातविरोधी पार्टी ने,गलत प्रचार काफंडा अपनायादूसरों के नाम सेरूपए और…

0 Comments

मतलब की यारी

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* दुनिया में मतलब की है यारी,अपना मतलब सब पर भारीजिसमें चले ना कोई भी यारी,उसे कहते हैं सभी दुनियादारी। साधना हो जब अपना मतलब,सब…

0 Comments

परचम लहराना है

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ वर्तमान के विश्व पटल पर,अहिंसा का परचम लहराना हैवर्धमान के साथ आगे बढ़ते जाना है,प्रभु के उपदेशों को हमें जग में ले जाना है'जियो और…

0 Comments

नगरी हो अयोध्या-सी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** नगरी हो अयोध्या-सी,जहाँ राम का वास होघण्टियों, शंखों का जहाँ,सुमधुर ध्वनियों का नाद होमेरे राम सदा हृदय बसे,बस इतना-सा मीठा ख्वाब हो। ध्वज सदा लहराए,कीर्तन एकसाथ होमंगल…

0 Comments

माँ की कृपा

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** माँ की कृपा बड़ी निराली है,करो समर्पणफिर जिंदगी में खुशहाली है,भले ही माँ भूखी रह जाती हैमुझे आई तृप्ति की डकार से माँ संतुष्ट हो जाती है।…

0 Comments

संस्कार फटे क्यों है ?

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** संस्कार तेरे ये फटे क्यों है,चहरे पे उलझी लटें क्यों है ? क्या बेच खाई शर्म-हया!मानवता के बीज घटे क्यों है ? अफसोस अभी तक ग़म नहीं,बीच…

0 Comments

आज मन विचलित हो उठा

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* मन आज क्यों ? विचलित हो उठा,रह-रह कर मन क्यों ? मचल उठा। न जाने क्यों ? लगता है कुछ ऐसा,जीवन बदल-सा गया हो जैसा। जब…

0 Comments