एकता का बंधन…

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** देश भक्ति भावना की, मन में उमंग लिए,प्यारा ये तिरंगा सीमा, पर लहराइए।शत्रु के समक्ष शीश, झुके नहीं भारत का,त्याग बलिदान युवा, पीढ़ी को सिखाइए॥ संकट…

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अंधेरी रात-सी वीरान जिन्दगी

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** जब तुम अचानक जिंदगी से अलविदा हुए,तेरी चिता के साथ सब अरमान जल गएबच्चों के पालन-पोषण में अब तक कटे थे दिन,कैसे बताऊँ, कैसे कटे थे ये…

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मौसम बदल रहा है…

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* मौसम बदल रहा है,ठंड का आगमन हो रहा हैनिकल रहे हैं गर्म कपड़े,हाथ रजाई ढूँढ रहा हैकटेगी नहीं सर्दी अकेले,दिल साथी ढूँढ रहा है।मौसम…

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मेरी माँ

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** जन्मदाता है माँ,जिंदगी उसी से शुरू होती हैचाहे हमारे बच्चे हो जाएँ,फिर भी माँ की जरूरत होती हैं। एक छोटा अक्षर है माँ,जिसमें पूरी दुनिया…

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दयालु बनो

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* किसी का भी जीवन आसान नहीं है,हर किसी को कठिनाई से जूझना पड़ता हैइसलिए, दयालु बनो। हर कोई गलती करता है,कोई भी पाक-साफ नहीं होता हैइसलिए,…

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लिखा जा रहा अब नेपथ्य के पीछे का सच

डॉ.अनुज प्रभातअररिया ( बिहार )**************************** देखा था बहुतों ने,पर आँखेंकरके रखी थी बंदसुना भी बहुतों ने,पर जुबां रखी थीसिली-सिलीवह कौन सा भय था!जो लाखों के दर्द को,नेपथ्य के पीछेरोता छोड़…

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क्या लिखूँ…?

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** मन से सिरजते लहू लिखूँ,या आँखों में छुपाए पानीकागज की कश्ती लिखूँ,या बेमानों की कहानी। हँसता हुआ गुलाब लिखूँ,या उपवन की दास्तान!अपना अबोध मन लिखूँ,या उनका कटाक्ष…

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जीवन जीते हैं जीने को‌

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** जी भी लेंगे जीवन यूँ जीने को,बड़े भाग्य से यह मनुष्य तन पायासुपथ सुकर्म-धर्म से जीवनसाहित्यमय मंगलम् निभाने को,जीवन जीते हैं…। हिंदी साहित्य-काव्य सम्मेलन के साहित्यांगन में,शब्द…

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पूर्वाग्रह से निकल वास्तविकता को स्वीकार करे कांग्रेस

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** सनातन का अपमान, तुष्टिकरण की नीति और जातिय आधार पर समाज को बाँटने के कारण ही कांग्रेस हारी है।अभी-अभी बीते ५ राज्यों के चुनाव में कांग्रेस बुरी…

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सीख है जीत-हार से

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ सीख है जीत-हार से,कोई हार कर भी फिर आगे बढ़ेकोई जीत कर भी घंमड ना करे,यहाँ तो हर मनुष्य का जीवन चक्र हैथोड़ा सुख है;…

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