मुक्ति

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* जन्मा, उत्पन्न हुआ,उत्पन्न हुआ, निर्मित हुआअनुकूलित वातावरण,क्षणभंगुर जीवनक्षय और मृत्यु से जुड़ा हुआ। बीमारी का घोंसला,नाशवान हर चीजशरीर भी पोषण और तृष्णा की डोर से उत्पन्न,आनंद…

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पैसा नहीं सब-कुछ

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* पैसा सब-कुछ है, पैसा कुछ भी नहीं,जीवन में है सब-कुछ स्वस्थ शरीर ही। पैसा ही रहता जीवन में अगर कुछ भी,तो 'सहाराश्री' सुब्रतो बीमारी…

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बस बाँट प्रेम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* खुशियों के गीत गा पाएँ हम,अरमान दिली उद्गाता हैबिन गेह वसन क्षुधार्त्त प्यास,दे मदद खुशी हर्षाता है। नित खुशियाँ दे मुस्कान अधर,जीवन पल दुर्लभ…

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पाती सैनिक-सपूत की

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** राजौरी:शहीदों को श्रद्धांजलि.... आऊंगा मैं तुझसे मिलने, माँ मेरी ए,खाकर कसम तेरी कहता हूँ,देश-तिरंगे का मान बढ़ाने को, तुझसे दूर मैं रहता हूँ। चिट्ठी…

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गीता-उपदेश से मन खिलता

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थों में गीता के क्या कहने,ऋग्वेद से लेकर वेद, दर्शन शास्त्र, पुराण, गीता, ज्ञान का प्रमाण होतेशरीर की मृत्यु ही जीवन का अंत…

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कुछ भी पता नहीं…

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* न जाने क्या होगा कल का, कुछ भी पता नहींआने वाले समय का, कुछ भी पता नहीं। जीवन एक नौका है, जिसे पार लगाना है,सुख-दु:ख के…

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सुबह का पल

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ पक्षियों की चहचहाहट से भोर की आहट होती है,सुबह का पल बड़ा अनमोल होता हैसूरज की वह ललिमा हमारे अंदर आत्मविश्वास का रंग भरती है,और…

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वीर अब्दुल हमीद…

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** वीरता का मोल, जिसका चुकाया गया नहीं,भारती का लाल, अनमोल वरदान थाबचपन से ही देशभक्त, मतवाला रहा,देश के निमित्त जो, सदा ही कुरबान था। बलिदानी गाथा…

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ममता के कई रूप

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* मानव हो या जानवर,मूरत हो कोई पत्थरममता के हैं कई रूप,भले पत्थर का स्वरूप। सुंदर हो या कुरूप हो,या बिगड़ा स्वरूप होमाँ का संग…

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कैसे कह दूँ!

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** कैसे कह दूँ रे मालिक,सुन्दर यह संसार,शूल ही संग क्यों होता ?फूलों का अभिसार। दीप जो जलता है सदा,देने को आलोकउसी के नीचे क्यों है ?रहता घोर…

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