मैं पतझड़ का फूल

मनीषा मेवाड़ा ‘मनीषा मानस’ इन्दौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************************** नहीं किसी बाग की शोभा, नहीं कोई माली मेरा। निर्जन वन में पड़ा अकेला, ‘मैं पतझड़ का फूल’ विरह अग्नि पल-पल जलता, फिर भी रोज खिला हूँ करता। धू-धूकर जलती है धरती, हवा भी वही रूप धर लेती। सुनकर सूखे पत्तों के सुर-साज, मिटाता हूँ इस मन के त्रास। … Read more

तू है ना

देवेन्द्र कुमार शर्मा ‘युगप्रीत’ अजमेर(राजस्थान) ************************************************************************ सवाल कैसा भी हो,हल हो ही जाता है, तू है ना तो सब हो ही जाता है। इतना भी नही अदीब मैं,कि सब जान सकूँ, गिर्द में तेरे आने पर अफसोस मिट सा जाता है। तू है ना तो सब हो ही जाता है…ll गमगुस्सार जितने थे सब चले … Read more

बिखरे रंग

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* इस होली पर हमने देखे सबके कैसे कैसे रंग। कुछ माथे,कुछ चेहरे पे चढ़े और कुछ घूमे वस्त्रों के संग। भर पिचकारी मारें बच्चे जिनमें घोले कई हैं रंग। अबीर गुलाल जो बिखरे हैं वो मुस्काते बच्चों के संग। छाप छोड़ गए घर-आँगन में अबकी जो होली के रंग। … Read more

सागर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** मैं सागर हूँ महार्णव अति गह्वरित, धरा के आँचल में समेटे स्वयं को या यों समझ माँ की आबरू को ढँक तीनों दिशा दुर्दांतकों से अनवरत, हूँ मैं तोयनिधि संरक्षक जलधि प्रकृति चराचर जगत् पालक, देव-दानव-मानव जलचर सभी हेतु हूँ जलज का व्योम का, वड़वानल और करुणार्द्र साथ … Read more

मेरा देश

  डॉ.स्नेह ठाकुर कनाडा ******************************************************************* मेरा देश आज दो नामों में बँट गया है, भारत और इण्डिया भारत पूर्वीय दैवीय गुणाच्छादित सभ्यता का प्रतीक, और इण्डिया पाश्चात्य सभ्यता काl भारत इण्डिया के भार से दबा जा रहा है, अधोपतन के गर्त में डुबाया जा रहा हैl भारत की सात्विक संस्कृति की छाती पर, इण्डिया की … Read more

क्या यही माँ ??

सुषमा मलिक  रोहतक (हरियाणा) ************************************************************************************* पूछ रही हूँ मेरी माँ मैं तुझसे,बस तू ये मुझको बता दे, क्यो फेंका मुझे कूड़ेदान में,अब मुझको तू ये जता दे। नौ महीने तक रखा पेट में,फिर ऐसी क्या मजबूरी थी, नहीं चाहिए थी बेटी तुझको,तो पैदा करनी जरूरी थी। क्या तेरी कोख में पली नहीं,या मैं तेरे खून … Read more

पिंजड़ा

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) *************************************************************************************** पिंजड़ा स्वर्ण जड़ित दीवारों का बना खूब सजा खूब बड़ा। सोने की कटोरी, मदे की भरी। अफ़सोस हाय! सब फीकी लगे। चाहत है परिन्दे की, नील-गगन में उड़े पंछी के पंख, बेजान पड़े। कटुक निबौरी चाहे मिले, नीड़ भले ना मिले। जल सरोवर का भले, शाखाओं की टहनी पर झूला पड़े। … Read more

भारत का चौकीदार

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** मैं हूँ भारत का चौकीदार दिन-रात रहता हूँ पहरेदार, घुसपैठ नहीं होने दूँगा दुश्मन को मैं ठोक दूँगा। परिंदों को पंख काटकर आकाश में मैं छोड़ दूँगा, भारत की शान को मैं कभी नहीं झुकने दूँगा। हिन्दुस्तान हमारी जान है मर्यादा पुरुषोत्तम की धाम है, अहंकारी का महाविनाश है यमलोक उनका … Read more

मुलाकात

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** ख्वाबों ख्वाहिशों आरजू की मुलाक़ात, खामोश जुबां उम्मीद की कशमकश का लम्हा। तकदीर की कशिश, लफ़्ज़ों अन्दाज़ की बात॥ सवाल-जवाब इजहार अरमान की तल्खी, बा-वफा खौफ से घायल॥ कभी सुकूं के आसमाँ में बादल से हालात, फासले जज्बात हौंसले, मकसदों के पैगाम के कायल। सूरज शाम के, आगोश की … Read more

मातृभूमि के लाल

कैलाश भावसार  बड़ौद (मध्यप्रदेश) ************************************************* अपने रक्त से तिलक लगाया, भारत माँ के भाल पर जितना गर्व करें उतना कम, मातृभूमि के लाल पर। उऋण कभी ना हो पायेंगे, क्रान्ति के दीवानों से पार नहीं पा सके थे बुज़दिल, जिन तीनों मस्तानों से अंग्रेजों से कभी ना भय था, अविजित थे जो काल पर। जितना … Read more