दस्तक
तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान) ************************************************* न जाने क्यों ? आज मेरी नींद भटक रही है, तेरी यादों की गलियों में। ढूंढ रही है शायद वो गुज़रे लम्हें, जो गुज़ारे थे कभी साथ तेरे। वो सुबह-सुबह तेरे ख़्यालों की दस्तक, जगाती थी हमें। और वो तेरे हसीन ख़्वाब, सुलाते थे हमें। अब वो ख़्याल न रहे, … Read more