दिल की धड़कन

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ दिल ने धड़कना छोड़ दिया है, जबसे गए हो तुम दूर मुझसे। तब से नाम के सहारे जिन्दा हूँ, मैं डर गया हूँ तेरी वफ़ादारी से॥ तेरे दामन पर जो रंग लगता है, दिल मेरा यहां धड़कता है। कोई कैसे तुमको, मेरे से पहले रंग लगा सकता है। क्योंकि सबसे पहले … Read more

कविता का जन्म

मनोरमा जोशी ‘मनु’  इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** अबाध गति से अनजाने में, निशब्द भावनाओं का प्रवाह मानस पटल पर अंकित कुछ, अनबोले और अनछुए असंख्य विचार कल्पना का, मंथन कर उद्धेलित करते हैं अभिव्यक्ति को। जीर्ण-शीर्ण विचारों की सृष्टि में, संवेदना का उदगम ही प्रेरणा स्त्रोत बनता है। इन सभी भावों में क्रान्ति की, अग्नि प्रज्जवलित होने … Read more

दुश्मन भी गले मिल जाते हैं

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* ये भारत की धरती है दोस्तों, जहाँ सब मिल होली मनाते हैं। क्या तेरा-क्या मेरा यहाँ पर, दुश्मन भी गले मिल जाते हैं। इंद्रधनुषी रंगों के यहां तो, सभी ख्वाब दिखलाते हैं। प्यार मुहब्बत मिले जहाँ भी, दुश्मन भी गले मिल जाते हैं। रंगों के त्यौहार में देखो, सभी … Read more

निकाल दिया दिल से तुम्हें..

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** तेरी उस अदा का हूँ मैं आज भी दीवाना, भूल नहीं सकता तेरा वो खूबसूरत मुस्कुराना। हाँ सच में बस तुझे ही निहारना था मेरा काम, साँसें भी मैंने अपनी कर दी थी तेरे ही नाम। मैंने अपनी जिन्दगी का सबसे खूबसूरत गुनाह किया था, तभी तो सौंप दी थी … Read more

ढूँढते रह जाओगे…

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’ दिल्ली(भारत) ************************************************************ आने वाले कुछ साल में, मिलेंगे ऐसे हाल में। हर कोई बदहाल में, तरसेंगे बोलचाल में। ढूँढते रह जाओगे…ll माँ को तरसेंगी माॅम, भारत की सारी कौम। शहर बनेंगे सभी गाँव, तरसेंगे पेड़ों की छाँवl ढूँढते रह जाओगे…ll चूल्हे पर पकी रोटी, खेलना सड़क पर गोटी। लड़की की … Read more

फागुन आया

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** हवाओं की नरमी जब मन को गुदगुदाने लगे नई-नई कोपलें जब डालियाँ सजाने लगें, खुशनुमा माहौल लगे,मन में उठें तरंग तब समझो फागुन आया,लेकर खुशियों के रंग। खिलते टेसू पलाश मन झूमे हो के मगन पैर थिरकने लगे नाचे मन छनन-छनन, बैर-भाव भूलकर खेलें जब सभी संग तब समझो फागुन … Read more

एकता नहीं रही..

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* अब हमारे गाँव में एकता नहीं रही, इन्सानों के दिल में नेकता नहीं रहीl होलिका दहन करते थे सब साथ मिलकर, अब खर-कतवार जुटाने की चिंता नहीं रहीl जाते थे हम घर-घर जो गुलाल लेकर, अब पड़ोसियों से भी मित्रता नहीं रहीl पी के शराब बकते हैं घर में जो … Read more

आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* ‘आत्मजा’ खंडकाव्य से अध्याय-६ करती माँ आगाह सदा यों, बेटी अब तू हुई सयानी रखना फूँक-फूँक पग आगे, नाजुक होती बहुत जवानी। समझ न पाती माँ की बातें, आगे कुछ भी पूछ न पाती मुँह तक आता प्रश्न किन्तु वह, लज्जा फिर आड़े आ जाती। प्रश्न-प्रश्न ही रहे सदा से, मिले … Read more

ऐसी होली मनाईए…

अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* जरा अपने अहंकार को जलाईए, इस बार ऐसी ही होली मनाईए। सोचिए,राग-द्वेष गर जल जाएंगे, सच में रंग फागुन में ऎसे खिलाईए। रखा क्या है नफरत की भाषा में, प्रेम से ही अपना सबको बनाईए। अब तो गुलाब-टेसू भी बगिया में हर्षित हुए, फागुन की पुरवाई में फसलों-सा मस्ताईए। लाल-पीला … Read more

होली की गंध..

हेमा श्रीवास्तव ‘हेमाश्री’ प्रयाग(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* एक मादक-सी गंध है होली में, बैठी हूँ,कुछ रंग लिए टोली में। मन में है उल्लास तेरी बस याद, चढ़ी बैठी हूँ साँझ की डोली में। आचल में सफेदी पहन रखी है, तेरे रँगों की रँगीनी की ताक में। भीगे मौसम की ये है नरम धूप, अभी बसंत-शरद की आस … Read more