सत्य मार्ग बहुत कठिन

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** मेरा जीवन बिखरे मोती, घुप अंधेरा नहीं ज्योति। सत्य मार्ग बहुत कठिन, आसान राह झूठी होती। मुर्दे कफन फाड़ के बोलें, जिंदगी…

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आओ हम वंदन करें वीर शहीद जवानों को

डॉ.जयभारती चन्द्राकर भारती गरियाबंद (छत्तीसगढ़) *************************************************************************** आओ हम वंदन करें,वीर शहीद जवानों का, भारत की माटी चंदन,शीश धरो इस माटी का। आओ हम वंदन... जुनून हृदय में लिए,देश की रक्षा करें,…

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कवि होना इतना आसान नहीं

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ********************************************************************* आदमी का कवि होना इतना आसान नहीं होता कभी नहीं होती जमीं,कभी आसमां नहीं होता, ठहाके लगते हैं तुम्हारे,उसकी कही बातों पर लिखने में वह…

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असली सौन्दर्य

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  ************************************************** जब यह तन अचल होता है, तभी मन का भ्रम मिटता है। वह चमक-दमक वह चिकनी चमड़ी, सिकुड़ फूलकर बेढंग दिखता हैll सारे…

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दिल मिलाना चाहिए

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** (रचना शिल्प:बह्र/अर्कान-२१२२×३-२१२-फाइलातुन×३-फाउलुन) सिलसिला यारी निभाने का चलाना चाहिए। टूटने वाले दिलों को भी मिलाना चाहिए। क्यों हुए तन्हा जमाने में कई हैं शख़्स जो, उन…

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महान भारत

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** कुदरत का उपहार स्वरूपा जन्मे थे जहाँ मनू-सतरूपा। बुद्ध जी दिल से दया है बहाई हमें गर्व है उन महापुरुषों पर, हम जिनकी अच्छी संतान…

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मस्ती फागुन की

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- मौसम खिल उठा बहारों से तन-मन में खुशियाँ छायी है, पुरवईया चलने लगी, मस्ती फागुन की छायी हैl मस्तों की टोली निकल पड़ी हर…

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होली

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** होली की हुड़दंग में,डूब न जाना यार। मजे-मजे से आप भी,खूब मना त्यौहार॥ गिले-शिकवे भूल कर,रंग प्यार का खेल। दुश्मन से भी प्रेम…

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बदलेगी दशा व दिशा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** स्वयं घर परिवार नहीं,निरामीष परिवेश। वतनपरस्ती में लगा,है प्रधान इस देश॥ वोट बैंक के जाल में,फँसा धर्म निरपेक्ष। एक धर्म की आड़ में,बँटा…

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हवा हूँ

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** हवा हूँ,हवा हूँ ठंडी हवा हूँ, चलती हूँ ऐसे मस्तानी जैसी। कुदरत ने हमें बनाया पूरी रफ्तार में हमें उड़ाया, कभी खुशिया बाँटी तो कभी गम…

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