मन की कामना

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** भोले के दरबार में, जाते भक्त हजार।झोली भरकर लौटते, पा करके उपकार॥ दर्शन की चाहत मुझे, गौरा माता साथ।मेरे मन की कामना, सुन लो भोलेनाथ॥…

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धरती करे पुकार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जीवन भर गाते सभी, धरा मातु के गीत।हरियाली को रोपकर, बन जाएँ सद् मीत॥ हरी-भरी धरती रहे, धरती करे पुकार।तभी हवा की जीत है, कभी न…

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अंजुरी भर प्यार

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* न जाने कहाँ छुप गया मुसाफ़िर,मुझे प्यार भरा गीत सुना करदिल में हलचल मचा गया,तस्वीर अपना दिखा कर। अंजुरी भर प्यार का शब्द,कानों में चुपके से…

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इन्सान झुलसने लगा

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यह महासंग्राम है,भयंकर गर्मी कासबसे बड़ा उधम है,जीवन की खुशियाँ बिखरने लगी हैपेड़-पौधों से रंग उतरने लगा है,शबनम अब दिखाई नहीं देतीहोश में कोई नज़र नहीं आता,यह हमारे ख़ुद…

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सुनो ना

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** अच्छा सुनो ना…मेरे हृदय की धड़कन,सुना क्या ! उसका सूनापनधीरे-धीरे ही सही..पर,अनंत अम्बर-साप्यार है तुमसे…। दिल अब रुकता नहीं,बात सुनता नहींक्या कहूँ उसे,जो सपने बुनता नहीं..पर सच…

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कौन पराया है या अपना!

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कौन पराया है या अपना, कठिन आज सवाल समझ लो,देख लाभ अवसर पलटे वे, संगति मालामाल समझ लो। भूले रिश्ते दोस्त हृदय तल, प्रेम…

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देह घड़ा कुम्हार-सा

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** देह घड़ा कुम्हार-सामाटी गूंथ बनाया,शून्य इस विराट मेंएक छोटा वृत्त समाया। माटी की दीवारें दीमध्य रिक्त स्थान आया,जल समान मन दियाफिर खालीपन न पाया। मन रंगा जीवन…

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जीत-हार में

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** उलझन ही उलझन जीवन में,फिर क्यों बात धरूँ मैं मन मेंनासमझी में जिद करने की,बात बहुत बुरी होती हैकभी-कभी हार में भी,जीत छिपी होती है। क्या करना…

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सदा रहो मुदित

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* सदा रहो दम्पति मुदित, कीर्ति सुखद आनंद।सद्विवेक पुरुषार्थ सुख, खिले सुयश मकरंद॥ नव वसन्त मधु माधवी, रचना विधि अनमोल।बनो प्रिया सहधर्मिणी, प्रिय विवेक चित…

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साँस दे ज़िन्दगी को पवन

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* ज़िन्दगी ही न खुद की हुई,चाहती दूसरों को रही।बन्दगी जिस घड़ी सज गई,मांगती उस घड़ी कुछ नहीं। उम्र बचपन, जवानी, बनी,फिर बुढ़ापा मिले अनुभवी।साँस, धड़कन,…

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