संवेदनाएं

डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’दतिया (मध्यप्रदेश)********************************************************** मानव मन सागर जैसा है,हर पल लहरें उठती-गिरतीकुछ तो मिट जाती हैं पल में,कुछ जीवन में नव रस भरती। जिनके उर संवेदना है,वे कष्ट जगत…

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बाँटो खुशियाँ

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** बुद्ध पूर्णिमा (५ मई) विशेष... बनिए बुद्धकरें प्रयास शांतिनहीं हो युद्ध। सबका साथगौतम बुद्ध आसदीजिए साथ। पालें अहिंसापाएँ स्वयं की जीतमिटे अज्ञान। नहीं मिटतीबुराई से बुराईप्रेम सहारा।…

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जबसे शिक्षक हम…

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** जब से शिक्षक हम,सरकारी हो गएबिना मिर्च-नमक की,तरकारी हो गए। एक पढ़ाने का काम था,अच्छा-खासाअब तो चपरासी से लेकर,पटवारी हो गए। ज्ञान भी देना है,ज्ञान बटोरना…

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जिंदगी का मकसद

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* मुझे ज़िन्दगी का मिला एक मकसद, उसी के सहारे जिए जा रहा हूँ।न चाहत सजाता न उम्मीद करता, मिलें अश्क भी तो पिए जा रहा…

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करके श्रम हारे नहीं

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* करते श्रम दिन-रात वो, करें नहीं आराम। निर्मित करते हैं सदा, घर-मंदिर से धाम॥  पर्वत-पत्थर काट कर, देते हैं नव रूप।  औरों को सुख दे रहे, खाते…

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हाँ, मैंने भी प्यार किया

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** कभी विरह के गीत लिखकर,अश्रु धार से नयन सींचकरविष से भरी हुई प्याली को,हँसते-हँसते स्वीकार किया है।हाँ, मैंने भी प्यार किया है… प्रेम पाश से घायल…

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ठोकरें ही ठोकरें

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** ठोकरें लगती हैं,ज्यादातर अपने ही लोगों सेपत्थर की ठोकरें,स्वयं अपने में यादगार चिन्हबना लेती हैं। ठोकरें‌ खा खाकर ही,बनते हैं‌ हम महानपुनर्प्रयास और अभ्यासों से,ठोकरें अनायास की…

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श्रीराम चरण

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* जहाँ श्रीराम के चरण पड़ेंगे,वह धरा चन्दन के समान हैजो नर-नारी नहीं समझेगा,बहुत मूढ़, अति-नादान है। जो श्रीराम कथा वर्णन करेगा,वह वाचक सन्त-गुरु समान हैजो नर-नारी…

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मेरा जीवन-मेरा स्वाभिमान

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* कदम बढ़ चले कदम,ना चिलचिलाती धूपना भीगने का डर,सर्द हवाएं भीनहीं हिलाती दम,नहीं चुभतींअनेक चुभन,मिलता जो भी हो दर्द। लिंग से परे,स्त्री और पुरुषपत्थर तोड़ते…

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मौसम

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** पृथ्वी और नभ का रिश्ता,जैसे है प्रीत का नातामौसम जिसमें आता-जाता,तब जैसे वह वसन बदलता। दिनकर नभ का भाग्य विधाता,स्वर्णिम दिनकर की किरणेंपूरे विश्व में ज्यों फैले,उससे…

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