चाहूँ आसरा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** मजदूर हूँहूँ नींव का पत्थरमजबूर हूँ। चाहूँ आसराकरूँ महल खड़ेहूँ बेसहारा। मेरी बेबसीसोता रात को भूखागायब हँसी। कई योजनादूरी सदा सुख सेहूँ तरसता। कैसी सुविधा!सड़क ही जीवनखत्म…

0 Comments

दिल के लिए

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* हम हुए मदहोश जबसे, दिल हमारा खो गया।बात ऐसी क्या रही जो, दिल तुम्हारा हो गया। प्यार करता हर किसी से, दिल बिना कुछ भी…

0 Comments

इश्क़ में…

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** इश्क़ में,नहीं बना सकताएक शहंशाह की तरहहसीं ताज महल,नहीं भटक सकतावीराने सहरा में,झुलसती धूप मेंनंगे पाँव।बनकर मजनूं,दुर्गम पहाड़ियों कोकाटकर नहीं ला सकता,फ़रहाद की तरहदूध की नदियाँ।नहीं कूद…

0 Comments

रखें सरलता हरपल जीवन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मनुज आचरण वचन सरलता, आडंबर बिन प्रीत मिलन है,टपके निश्छल निर्मल अविरल, अपनापन रिश्ते गुलशन है। सत्य बोध हियतल अनुमोदन, काव्य भाव प्रकटित रचना…

0 Comments

कैसे गाऊँ अपना गीत

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ बीता दिन रोटी पानी में,कैसे गाऊँ अपना गीत। हुआ प्रभात जगी नव चिन्ता,बिस्तर छोड़ूं भर लूं पानीपानी के ही पीछे चलती,झाड़ू की भी कथा पुरानी।सुलग अँगीठी में ही…

0 Comments

मन की कामना

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** भोले के दरबार में, जाते भक्त हजार।झोली भरकर लौटते, पा करके उपकार॥ दर्शन की चाहत मुझे, गौरा माता साथ।मेरे मन की कामना, सुन लो भोलेनाथ॥…

0 Comments

धरती करे पुकार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जीवन भर गाते सभी, धरा मातु के गीत।हरियाली को रोपकर, बन जाएँ सद् मीत॥ हरी-भरी धरती रहे, धरती करे पुकार।तभी हवा की जीत है, कभी न…

0 Comments

अंजुरी भर प्यार

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* न जाने कहाँ छुप गया मुसाफ़िर,मुझे प्यार भरा गीत सुना करदिल में हलचल मचा गया,तस्वीर अपना दिखा कर। अंजुरी भर प्यार का शब्द,कानों में चुपके से…

0 Comments

इन्सान झुलसने लगा

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यह महासंग्राम है,भयंकर गर्मी कासबसे बड़ा उधम है,जीवन की खुशियाँ बिखरने लगी हैपेड़-पौधों से रंग उतरने लगा है,शबनम अब दिखाई नहीं देतीहोश में कोई नज़र नहीं आता,यह हमारे ख़ुद…

0 Comments

सुनो ना

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** अच्छा सुनो ना…मेरे हृदय की धड़कन,सुना क्या ! उसका सूनापनधीरे-धीरे ही सही..पर,अनंत अम्बर-साप्यार है तुमसे…। दिल अब रुकता नहीं,बात सुनता नहींक्या कहूँ उसे,जो सपने बुनता नहीं..पर सच…

0 Comments