चाहूँ आसरा
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** मजदूर हूँहूँ नींव का पत्थरमजबूर हूँ। चाहूँ आसराकरूँ महल खड़ेहूँ बेसहारा। मेरी बेबसीसोता रात को भूखागायब हँसी। कई योजनादूरी सदा सुख सेहूँ तरसता। कैसी सुविधा!सड़क ही जीवनखत्म…