प्रकृति का सौंदर्य

डॉ. सुनीता श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)*************************************** ज़िन्दगी की राहों में, विचारों की ढलान,प्रकृति की सुंदरता, विश्वास का स्थान। पर्वतों की ऊँचाई, समुद्र की गहराई,प्रेरणादायक प्रकृति, खोज में विचारी। वनों की घनी छाँव,…

0 Comments

चलो खो जाएँ वादियों में…

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* उबलती तपिश से दूर,पर्वत पुकारें सूदूर। इन झुलसती गर्मियों में,पहाड़ियों की ऊँचाइयों में। मिल सके कुछ पल सुकून,थोड़ी-सी ठंडक और राहत का जुनून। झरने, नदी, ताल,…

0 Comments

सपनों को बुन लो

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ सपनों को तुम बुन लो,अरे आकाश को तुम छू लो…तुम युवा हो देश के, देश भी युवा है,फिर तुम क्यों पीछे रहो ? आत्मनिर्भरता, स्वाभिमान,…

0 Comments

ऐसे ही चलती है…

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** जिंदगी ऐसे ही चलती है।हर दिन हाथ से फिसलती है॥ जो सोचता हूँ, वह रह जाता है,समय का पहिया कुछ कह जाता है।फिर उठता हूँ हौंसले से,…

0 Comments

जाग तुझको दूर जाना

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** आज तू है व्यस्त माना,या कि होगा पस्त, मानापर, नहीं हो हार तेरी,जाग तुझको दूर जाना। व्यथित पीड़ा, व्यस्त डोले,तिमिर पथ की राह खोलेमनुज का तू पहन…

0 Comments

सुन मेरी अरदास नाथ

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम.... शंभु-शिवा तुझको नमन, मेरे पालनहार।सदा शीश पर हाथ हो, हो जाऊँ भव पार॥ सुन मेरी अरदास को, झटपट आना नाथ।चरणों में नित…

0 Comments

अवसर जन-अभिव्यक्ति का

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* राजनीति सरगर्मियाँ, लोकसभा मतदान।अवसर जन अभिव्यक्ति का, रचना तंत्र विधान॥ लोकतंत्र साक्षी बने, चलें करें मतदान।योगदान चहुँ प्रगति दें, लोकतंत्र सम्मान॥ फिर चुनाव मंथन…

0 Comments

भारत की पहचान बनो

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** बाल कटाए लड़कों जैसे,पहने जींन्स और टी शर्टहाथ बढ़ा कर बोलीं मैडम'हैलो सिस्टर हाउ डू यू डू।' हाथ जोड़ कर बोल उठी तब,'मैं तो बिलकुल अच्छी हूँहाल…

0 Comments

चाँद का फूल…

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** नानी का घर और छत पर सोना,चाँद का फूल, अम्बर का बिछौना। तारों से बातें कर-कर रोना,छूट गया यह सब, बस रह गया कोना। छूट गए…

0 Comments

चलो दूर सपनों की दुनिया में

डॉ. सुनीता श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)*************************************** चलो चलें अब कुछ दूर,सपनों के गहरे समंदर मेंअधूरे ख्वाबों का साथी,आसमान की उड़ानों में। सूरज की किरणों के साथ,हो चलें हम सवेरे के साथपुनः लिखें…

0 Comments