जीना मुश्किल

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** सत्य को सत्य कहना मुश्किल हो गया है,अब तन्हाई में जीना मुश्किल हो गया है। रवैया देखा है जब से लोगों का हमने,साथ में रहना मुश्किल हो…

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हरदम सच ही कहना

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* झूठ नहीं रत्तीभर गहना।सच को हरदम सच ही कहना। क़ैद नहीं अब हरगिज़ रहना।साफ हवा-सा हर सू बहना। अपनी बातें खुल कर कहना।व्यर्थ नहीं…

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गुनगुनाती रही रात भर

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** शामे ग़म जगमगाती रही रात भर।वो ग़ज़ल गुनगुनाती रही रात भर। छत पे वो झिलमिलाती रही रात भर।दिल मिरा गुदगुदाती रही रात भर। उसकी वादाख़िलाफ़ी मुझे…

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आज-कल

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** पास आता नहीं कोई भी आज कल।दिल लगाता नहीं कोई भी आज कल। जिसको देखो वो लड़ने पे तैयार है।बात खाता नहीं कोई भी आज कल।…

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रौशनी से मिलते हैं

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* मुस्कुराकर सभी से मिलते हैं।आदतन हम खुशी से मिलते हैं। हम नहीं तीरगी से मिलते हैं।हम सदा रौशनी से मिलते हैं। हम बड़ी सादगी…

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दिल दुखाए जा रहा

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** बराबर ज़ुल्म ढाए जा रहा है।वो मेरा दिल दुखाए जा रहा है। न आया है, न आएगा कभी वो।तू क्यों आँसू बहाए जा रहा है। यक़ीनन…

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खुशबू बसी है अभी

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** उनकी ख़ुश्बू बसी-बसी है अभी।शाख़े उल्फ़त हरी-हरी है अभी। यूँ तो हँसने को हँस रहा हूँ पर,दिल की ह़ालत बुझी-बुझी है अभी। कैसे कह दूँ सुकून…

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सभी ज्ञानवान होते तो

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* क़ौम के दरमियान होते तो।मुल्क मिल्लत की जान होते तो। फिर समस्या नहीं खड़ी होती,गर सभी ज्ञानवान होते तो। हौंसला फिर न छोड़ते हरगिज़,आदमी…

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वो मुस्काए देर तक

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** देखा 'क़रीब मुझको तो शरमाए देर तक।शरमा 'के मन ही मन में वो मुस्काए देर तक। उसने निगाह फेर ली क्या जाने किसलिए,आँखों 'ने मेरी अश्क…

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गले लगाते हैं

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* प्यार से बुलाते हैं।प्यार ही सिखाते हैं। जो मिलें दबे-कुचले,हम गले लगाते हैं। हैं दलित भी मान वही,क्यूँ इन्हें भगाते हैं। जो मिले ग़रीबी…

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