मशहूर हैं आशिकी के लिए

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** आ गये आप मेरी खुशी के लिए।और क्या चाहिये ज़िन्दगी के लिए। देखिए आप नज़रें उठाकर ज़रा,घर सजाया है ये आप ही के लिये। आपके हुस्न…

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ख्वाब हैं हम लोग

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* सुब्ह का आफ़ताब हैं हम लोग।जागते दिन का ख्वाब हैं हम लोग। हर जगह रास्ता बना लेंगे,तेज़ रफ़्तार आब है हम लोग। ठेस दिल…

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…तो करार आए

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:समांतर-आ स्वर, पदांत-तो करार आये, मापनी १२२२,१२२२,१२२२, १२१२,२ वतन के वास्ते खुद को मिटा दूँ तो करार आये।शहीदों में खुदी अपनी लिखा दूँ तो करार आये।…

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दोस्ती का चमन लहलहा लीजिए

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ मित्रता और जीवन... एक ख़ुशबू का विरबा लगा लीजिये,दोस्ती का चमन लहलहा लीजिये। नफरतों की घटाएँ घिरी आ रहीं,प्यार का आप दीपक जला लीजिये। एक दिन स्वाहा हो…

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पास नहीं बुलाते

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* धीरे-धीरे से मुस्कुराते हैं।हौले-हौले करीब आते हैं। वेदना दे नयी-नयी हर दिन,सब्र को खूब आज़माते हैं। रोज़ देते हैं आश्वासन पर,पास अपने नहीं बुलाते…

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आइना उन्हें जो दिखाने पे आ गए

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ हम आइना उन्हें जो दिखाने पे आ गये,पलभर में उनके होश ठिकाने पे आ गये। एहसास जब हुआ उन्हें अपनी शिकस्त का,वो दोस्ती का हाथ बढ़ाने पे आ…

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कहाँ बचा आदमी!

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* किस तरह से कहूँ फिर भला आदमी।आदमी को रहा जब सता आदमी। आदमी में कहाँ है बचा आदमी।जानवर से भी बदतर हुआ आदमी। जल…

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है समन्दर आइना

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ दे रहा चक्कर पे चक्कर आइना,आइना दर आइना दर आइना। आसमां भी जिसमें चेहरा देख ले,है ज़मीं पर वो समन्दर आइना। आइने से पूछा तू है क्यों उदास,रो…

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मंज़र नहीं देखे जाते

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* बाढ़ में डूबे हुए घर नहीं देखे जाते।तर बतर आज के मंज़र नहीं देखे जाते। सख्त सरकार के तेवर नहीं देखे जाते।सर पे लटके…

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बच्चियाँ रोती है

एल.सी.जैदिया ‘जैदि’बीकानेर (राजस्थान)************************************ कहीं पर सिसकियाँ रोती है,कहीं पर, हिचकियाँ रोती है। बेरहम हो गया जमाना देखो,अब तो यहां, बच्चियाँ रोती है। बिन सैलानी, है समन्दर सूना,साहिल पर, कस्तियाँ रोती…

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