मैं भारत हूँ
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* बसे दिल में सभी के वो ज़ियारत हूँ मैं भारत हूँ। (तीर्थ)मैं गीता वेद क़ुर'आँ की बशारत हूँ मैं भारत हूँ। (दिव्य प्रेरणा) रहा…
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* बसे दिल में सभी के वो ज़ियारत हूँ मैं भारत हूँ। (तीर्थ)मैं गीता वेद क़ुर'आँ की बशारत हूँ मैं भारत हूँ। (दिव्य प्रेरणा) रहा…
डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* बचपन के वो सुनहरे दिन आज भी हमें रूलाते हैं।अब न जाने क्यों लोग हर क़दम पर आज़माते हैं। अदब थी हममें,जो हर किसी की…
रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ क्या सहते जाना ही ज़िन्दगी है़।क्या रब की यही बन्दग़ी है। झूठ हमेशा जीत क्यों जाता है,क्या उजालों में झूठ की रौशनी है। जिस्मानी रिश्ते क़ीमती हो गए,खून…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************** आज तक मैंने तुझे जी भर जिया ए जिंदगी।हर रिवायत में इज़ाफ़ा ही किया ए जिंदगी। आदमी का काम है हर हाल में जीना तुझे,सोम रस…
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* दोस्ती से बड़ा अब तराना नहीं।हाल जैसा भी हो तुम भुलाना नहीं। जिंदगी कब तलक बीत जाये यहाँ,याद रखना चलेगा बहाना नहीं। तुम सुदामा भले…
आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* मेरे दिल में बसता है हिंद महान तो मेरा कसूर क्या है ?मुझे मेरे देश में दिखती है जन्नत तो मेरा कसूर क्या…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:क़ाफ़िया-आनी/ रदीफ- आ गयी बहर २१२२,२१२२,२१२२,२१२ भाप दरिया से उठी अरु बन के पानी आ गयी,बूँद बारिश की धरा पे बन के रानी आ गयी। लहलहाये…
अनिल कसेर ‘उजाला’ राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)************************************ वो ढूंढता रहा दरों-बाज़ार में,मैं खड़ा रहा उसके दरबार में। मन्नत ख़ुशी की गए थे मांगने,मिल गया धोखा हमें प्यार में। बरसती रही बरखा रात भर,हम बह…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************** मिट्टी का घर कांप रहा है,पानी ढो-ढो थके पनारे।तीखी वर्षा के हमलों से,रोते पाये छान उसारे॥ दुश्मन दिखती तेज हवाएं,बरखा अब दहशत फैलाये,धरती पर पानी ही…
रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ कौन अपना है कौन पराया।कोई ये कभी जान न पाया। मुहँ के सामने मीठी बातें,पीठ पर ख़ंजर चलाया। सुबूत दे तो कैसे दें ख़ुदा,इन झूठों ने मुझे फँसाया।…