मंज़र नहीं देखा गया
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* आ गया वो रूह में मंज़र नहीं देखा गया।पूजते पत्थर रहे अंदर नहीं देखा गया। आत्म मंथन के सफ़र में देह से ऊपर उठा,पार गरदन के…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* आ गया वो रूह में मंज़र नहीं देखा गया।पूजते पत्थर रहे अंदर नहीं देखा गया। आत्म मंथन के सफ़र में देह से ऊपर उठा,पार गरदन के…
रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ थी नफ़रत या प्यार बोलता है।सच क्या है क़िरदार बोलता है। सच्चा हूँ या झूठा कौन बोलता है।ग़ज़ल में सब अशआर बोलता है। हम कैसे रहते हैं समाज…
सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) **************************** न कोई शिकवा किया करेंगे न रंज दिल का कहा करेंगे।तुम्हारे ग़म के ह़सीं 'चमन में उदास तन्हा जला करेंगे। तुम्हीं को हँस कर पढ़ा करेंगे…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* आदमी का आजकल किरदार बौना हो गया है।जिंदगी का फलसफा अब तो 'करोना' हो गया है। ढो रहा है आदमी कांधे सगों की लाश यारों,मरघटों तक…
रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ जीवन में मिलता मक्कार क्यों है।होते दोगले उसके व्यवहार क्यों है। बेचारी मासूम मछली काँटे में फंस गई,जिंदा होती मछली शिकार क्यों है। लूटने के लिये ज़ालिम ढूँढते…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* गरीबी भूख वीरानी सुनो सारे जहां में है।अमीरों की कद्रदानी सुनो सारे जहां में है। कहीं थोड़ा कहीं ज्यादा कहीं पूरा कहीं आधा,दुखी की आँख में…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:क़ाफ़िया-अना,रदीफ़-मुमकिन मिरा,बहर २१२२,२१२२,२१२२,२१२ हो जुदा उनसे तड़पना है बहुत मुमकिन मिरा।याद में उनकी मचलना है बहुत मुमकिन मिरा। गर्म साँसों की चुभन आती है मुझको…
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* उमीद के रखें हम दिल में यूँ सजा के चराग़,हवा में जैसे रखे जाते हैं जला के चराग़। सभी के हक़ में दुआ आइए…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** ज़िन्दगी इक खेल है बिल्कुल नहीं घबराइए,बस इसे जिंदादिली से खेलते ही जाइए। है हमारी खुशनसीबी मनुज तन हमको मिला,ईश का इसके लिए आभार करते जाइए।…
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* हादसों ने लबों की हँसी छीन ली।मेरी आँखों की सारी नमी छीन ली। ज़िंदगी देने वाले ने यूँ तो हमें,ज़िंदा रक्खा मगर ज़िंदगी छीन…