मिलती खुशियाँ नहीं ज़माने से

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** मिलतीं खुशियाँ नहीं ज़माने से, मांग लेता हूँ मैं वीराने से। बाप-माँ तो खुदा सरीखे हैं, बाज आओ इन्हें रुलाने से। आग छप्पर की हम बुझा देते, दिल की बुझती कहाँ बुझाने से। काश इनको छुपा लिया होता, ज़ख्म गहरे हुए दिखाने से। जब भी फुरसत की बात होती … Read more

समय कहाँं है

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** भूख मिटाऊँ समय कहाँं है। मंदिर जाऊँ समय कहाँं है॥ गीता पढ़ ली पाप हो गया, और कमाऊँ समय कहाँं है। सरपट भाग रहा है सत्य, उसे छुपाऊँ समय कहाँं है। असंख्य कहाँं हैं साँसें मेरी, व्यर्थ गवाऊँ समय कहाँ है। देशहित में जीवन समर्पित, रक्त बचाऊँ … Read more

देखा है

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’  छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************************************************************************************** हारना तीरगी का देखा है। हौंसला आदमी का देखा है। मंजिलों की लगन में राही ने, रास्ता कब किसी का देखा है। राह की मुश्किलों से लड़-लड़ के, हमने बढ़ना नदी का देखा है। धूप में बेचता है वो पानी, जीस्त में तिश्नगी का देखा है। सौंपकर … Read more

दर्द सारे सह गए

सुदामा दुबे  सीहोर(मध्यप्रदेश) ******************************************* मौन से रहे कभी तो, दिल की कभी कह गए। हम भी अपने दर्द सारे, हँसते-हँसते सह गए। मुरझाये नेह सुमन, जिंदगी की धूप में, साजिशों की लहरों में, रिश्ते सभी बह गए। वक्त की चलीं ऐसी, बेरहम-सी आँधियाँ, सपनों के महल सारे, देखते ही ढह गए। गैरों की बातों का, … Read more

साथ तेरा पायेंगे

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** साथ तेरा अगर पायेंगे दूर तक। तब यक़ीनन सनम जायेंगे दूर तक। उलझनों से निजी जब उबर पायेंगे, देख तब ही कहीं पायेंगे दूर तक। कल तलक जो हुआ वो हुआ सो हुआ, अब न धोखे मियाँ खायेंगे दूर तक। मंज़िलों के निशां खूब बतला चुके, ऊँच … Read more

रुला तो न दोगे..

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** (रचनाशिल्प:फाऊलुन×४, १२२ १२२ १२२ १२२) कहीं तुम मुझे यूँ भुला तो न दोगे। कि सपने सुहाने जला तो न दोगे॥ कयामत की रातें जुदाई की बातें, अगर दिल मिले तो रुला तो न दोगे। हजारों में तू एक दिल में बसी हो, सितमगर ये दामन उड़ा तो न … Read more

नींद को वह उड़ाती रही

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** याद मीठी सताती रही, नींद को वह उड़ाती रहीl माघ लेकर सुमन आ गया, गंध खुद को लुटाती रहीl सो गए बाँह में मीत के, प्रीत मुझको जगाती रहीl आग को कुछ खबर भी नहीं, आशियाँ वो जलाती रहीl खो गयी चाँदनी भोर में, रातभर जो हँसाती रहीll परिचय-अवधेश … Read more

दे दूँ वतन के वास्ते

डॉ.अमर ‘पंकज’ दिल्ली ******************************************************************************* (रचनाशिल्प:२२१ २१२१ १२२१ २१२) दे दूँ वतन के नाम कलेजा निकाल कर, थाती शहादतों की रखी है संभाल करl आबाद हो गया है तू जुल्फों की छाँव में, गुज़रे हुए पलों पे कभी मत मलाल करl धरती वही,हवाएँ वही,चाँद भी वही, माज़ी को याद करके तू रिश्ता बहाल करl क्यों ज़हर … Read more

तेरे बगैर जीने की चाहत कभी न की

कैलाश झा ‘किंकर’ खगड़िया (बिहार) ************************************************************************************ (रचनाशिल्प: २२१२ १२१२ २२१२ १२) तेरे बगैर जीने की चाहत कभी न की, मैंने यहाँ कभी किसी से आशिकी न की। मुझको पसंद है वही अब आपकी पसंद, सच मानिए तो मैंने भी ग़लती बड़ी न की। आएँ हुजूर आपका स्वागत है हर घड़ी, उस बार आपसे तो मैंने … Read more

चुप्पी कहती है कुछ

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** चुप्पी मेरी कहती है कुछ। नदिया-सी बहती है कुछ। देशहित की बाजी मित्रों, आत्मबल चाहती है कुछ। रक्त खौला माँ भारती जो, प्रसव पीड़ा सहती है कुछ। अनेक शोध कर देखा मैंने, जीने में मृत्यु रहती है कुछ। नीर कहां यह रक्त है भाई, हृदय गंगा बहती … Read more