मिलती खुशियाँ नहीं ज़माने से
वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** मिलतीं खुशियाँ नहीं ज़माने से, मांग लेता हूँ मैं वीराने से। बाप-माँ तो खुदा सरीखे हैं, बाज आओ इन्हें रुलाने से। आग छप्पर की हम बुझा देते, दिल की बुझती कहाँ बुझाने से। काश इनको छुपा लिया होता, ज़ख्म गहरे हुए दिखाने से। जब भी फुरसत की बात होती … Read more