मैं हूँ मिथ्या

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** संग चले नित झूठ दिखावा, मिथ्या नाम है।है घनिष्ठ निज छल से नाता, छलना काम है॥ भ्रमित जाल फैलाये रखती, ऐसी भावना,मनुज हृदय पर देती झूठी, मंगल…

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कलम बने तलवार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* कलम बने तलवार, तभी तो बात बनेगी।काटे अत्याचार, तभी सौगात बनेगी॥ कलम वही जो झूठ, कपट पर नित हो भारी,कलम वही जो, मत रखती हो, कोई…

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चंद दिनों का ये जीवन

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* नाशवान है ये जग सारा,फिर भी नहीं मानता मन है।जो आया है वो जाएगा,चंद दिनों का ये जीवन है॥ हम सब मानव कठपुतली हैं,उसके हाथ हमारी…

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ज़िन्दगी की गुजर…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* ज़िन्दगी की गुजर, एक प्यारा सफ़र,पल गमों में अगर, कट सके प्रेम से।उम्रभर की डगर, हर कदम बेखबर,वक्त अंजान पर, सज सके प्रेम से।ज़िन्दगी की…

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नारी हूँ

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* मैं नारी हूँ इस दुनिया की,जो बेटी बनकर आती हूँ।बनती हूँ मैं ही माॅं सबकी,नवजीवन जग में लाती हूँ॥मैं नारी हूँ… बेटी से पत्नी मै…

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जज़्बातों की गहराई…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* वो जज़्बातों की गहराई, दिखाने को कहा करते।मगर दिल ही नहीं दिखता, न पैमाने हुआ करते॥ किसी दिल में सजा क्या कौन, ये बातें भला…

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महिमा गंगा मैया की

डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’दतिया (मध्यप्रदेश)************************************************* माँ गंगा की महिमा अनुपम,ग्रंथों में पाई जाती है।प्रभु विष्णु के चरणों से,निस्सृत हो भू पर आती है॥ स्नान जो गंगा में करते,वे पाप से…

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ममता का सागर

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ माँ बिन…! माँ मेरी ममता का सागर,जग में तुम्हीं महान हो।मेरा सब कुछ है तुमसे ही,ईश्वर का वरदान हो॥ मुझे धरा पर लाने वाली,रखती आँचल…

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कैसे माँ बन पाऊँ

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ माँ बिन…! यह अजीब लीला है प्रभु की,माँ बिन जन्म न जीवन पाऊँ।मायावी संसार बीच में,कैसे माँ बिन माँ बन पाऊँ॥ माँ ही जीवन, माँ ही जगती,माँ ही…

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श्रमिकों की वंदना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मजदूरों का नित है वंदन, जिनसे उजियारा है।श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है॥ खेत और खलिहानों में जो, राष्ट्रप्रगति-वाहक हैं,अन्न उगाते,स्वेद बहाते, सचमुच…

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