मैं ढूंढ रहा हूँ..

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** मैं वस्त्रों में लिपटे रजकन ढूंढ रहा हूँ। मैं वो अपना मनहर बचपन ढूंढ रहा हूँll चोर,वजीर,सिपाही लिखते थे कागज पर, या सिक्कों की गुच्ची खेली भू की रज पर। कभी हांक ले गये खेतों में हम बैलों को, तोड़-तोड़ मिट्टी करते थे हम ढेलों को। वही अमोलक जगती का … Read more

आओ हम सौगंध उठाएं

सौदामिनी खरे दामिनी रायसेन(मध्यप्रदेश) ****************************************************** आओ हम सौगंध उठाएं, देश को निर्मल स्वच्छ बनाएं। सारे पर्यावरण को शुद्ध बनाएं, घर के कचरे के लिए कूड़ादान बनाएं। आओ हम सौगंध… जब भी हम बाजार को जाएं, साथ में अपना झोला ले जाएं। प्लास्टिक पोलीथिन से मुक्ति पाएं, भारत को पोलीथिन मुक्त बनाएं। आओ हम सौगंध… देश नदियाँ … Read more

वृक्ष लगायें

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** आओ हम सब मिलकर के, इस धरती का श्रृंगार करें। घर-बाहर सब पेड़ लगा कर, तन-मन शुद्ध सुखी पायेंll फूल लगा कर हम सुगंध से, इसकी हवा को महका देंगे। फूल खिलेंगे रंग-बिरंगे, मिल इसका श्रृंगार करेंगे। हर ऋतु में नव फूल खिलेंगे, देख सुमन-सा मन पायें। आओ हम सब … Read more

ऐसी भी मजबूरी कैसी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** दो शब्द नेह के लिखे हैं लेकिन,शायद ही पढ़ पाओ तुम। साजन याद बहुत आती है,जैसे हो आ जाओ तुम॥ पाती में ही कब तक बोलो,शब्दों का संसार लिखूँ। संग बिताए थे पल हमने,क्या उनका आभार लिखूँ॥ टूट गए जो ख्वाब हे साजन,फिर से आन सजा जाओ। साजन याद बहुत … Read more

अनमोल प्रण बन गये

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* रातभर जो उबलते दृगों में रहे, प्रात होते ही क्यों ओस कण बन गये। खौलते नीर की तो व्यथा है यही, न गगन ही मिले न मिले ये मही धूम्र बन-बन के उड़ता रहे वायु में, न मिले पंथ कोई दिशा में सही। पर मिले जो ठिकाना तो औषधि बने, न … Read more

पर्यावरण बचाएंगे

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** आओ मिलकर पर्यावरण बचाएंगे। मेहनत कर धरती को स्वर्ग बनाएंगेll जल की कोई बूंद व्यर्थ न बहने पाए। हरे भरे ये पेड़ कभी ना कटने पाए। वन्य जंतुओं का संहार बचाएंगे। आओ मिलकर पर्यावरण बचाएंगेll जल,वायु,ध्वनि का प्रदूषण दूर करें। वन-संरक्षण,जल-शोधन का यत्न करें। वनों को भीषण ज्वाला से बचाएंगे। … Read more

अश्क

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जो पिघल कर हिमशिखर से,नीर बनकर बह गया, वो धरा की प्यास को भी,तृप्त-सा ही कर गया। किंतु नयनों से जो छलका,नीर तो वो भी रहा, अनकही-सी प्यास क्यूँ फिर,वो हमीं में भर गया॥ वेदना की थी अनल जब,और टूटी आस थी, हो सकेगी तृप्त न वो,एक ऐसी प्यास थी। … Read more

शुभ्र मातु भारती…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** हाथ में ध्वजा लिये,शुभ्र मातु भारती। भोर की नव रश्मियाँ,आरती उतारती॥ ये मंद सी बयार है,विहग गान गा रहे। हरित विटप और लता,रूप हैं सजा रहे॥ सुरसुरी पग धो रही, नग राजे भाल में। कर त्रिशूल है धरा,अब्ज लाल माल में॥ मन्दिरों की घंटियां,ऊँ नित उचारती। भोर की नव रश्मियाँ,आरती … Read more

माँ

पवन कुमार ‘पवन’  सीतापुर(उत्तर प्रदेश) ****************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………   माँ के आँचल से निज सुत पर,निर्झर नेह झरे। अम्बर ज्यों निज ओस-कणों से,शीतल अवनि करे॥ धरती-सा विस्तृत मन जिसका,कोमलकांत हृदय है। करुणा,नेह,दया,ममता का,मिश्रित रूप विलय है॥ प्यार,दुलार अपार लुटाती,सदगुण नित्य भरे। अम्बर ज्यों निज ओस कणों से, शीतल अवनि करे॥ माँ के जैसी … Read more

माँ की साधना

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’  छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ का सारा जीवन एक साधना है। माँ को समर्पित मेरी हर आराधना है॥ कितनी बार ये सोचा होगा मर जाती हूँ, जीवन दु:ख का सागर है,मैं टर जाती हूँ। पर मेरे मुख को देख सही हर यातना है, माँ को समर्पित मेरी … Read more