अपना विश्वास जगाना है

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** जगना होगा आज स्वयं, नारी को भी निज शौर्य लिये। हिम्मत से जीना होगा निज, स्वाभिमान का अस्त्र लिएll यह इतिहास है भारत का, नारी ने ही संकल्प लिया। माँ दुर्गा ने काली बनकर, सब चंड-मुंड संहार कियाll रानी लक्ष्मीबाई ने भी, फिरंगियों के कत्ल किए। हाहाकार मचा डाला चुन- … Read more

रोज रोज घटती घटनाएँ

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ****************************************** रोज रोज घटती घटनाएँ,                    कैसी ये मानवता है। नरपिशाच बन बैठा मानव,               करता वह दानवता हैll      जिस पावन धरती पर नारी,                  देवी सम पूजी … Read more

मीरा उवाच

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** प्रीत प्रतीत परम प्रिय पावन,प्रिय पुनीत पुनि प्राण पखेरू। केहि विधि नेह जतावहु कान्हा,मैं पदरज तुम विकट सुमेरूll धरी अधर मुस्कान पिया हित,छलकत नीर नयन मम माहीं। सांवरि सूरत मोहनि मूरत,रूप अनूप बरन नहि जाहींll यहि उपकार करौ तुम कान्हा,हिय मा नेेह निवेदन लीजो। कोटि जनम सुख तुम पर वारौं,मोको … Read more

राम जन्मभूमि

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ (रचनाशिल्प:१२३२१) बने राम मंदिर जन्म भूमि भर हमारी यही कामना। ख़त्म हुआ वनवास राम लला मंदिर बनने की आस। अयोध्या शांति सौहार्द हिन्दू मुस्लिम की बनती एक मिसाल। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ मई १९६९ और जन्म स्थान-ऋषभदेव है। वर्तमान पता … Read more

माँ

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* माँ महानता की मूरत है, माँ है भोली-भाली। माँ वात्सल्य का आगार है, माँ देती खुशहालीll माँ के चरणों में जन्नत है, माँ का हृदय विशाला। माँ देती है बलिदान सदा, माँ ही देत निवालाll माँ सृष्टा की प्रथम सृष्टि है, माँ है सबसे न्यारी। शक्ति का आधार है जननी, … Read more

मिलकर धरा बचाएं

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* आओ मिलकर धरा बचाएं, वरना सब मिट जाएगा। दोहन प्रकृति का बंद करें, कुछ भी बच ना पायेगा॥ सब मिल करके वृक्ष लगाएं, हरी-भरी हो जाये धरा। प्रकृति का संतुलन बना रहे, जीवन भी हो जाय खरा॥ कार्बन उत्सर्जन कम कर दे, ओजोन परत बच जाए। जल की है हर … Read more

शरद ऋतु

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* सर्दी का संकेत हैं,शरद पूर्णिमा चंद्र। कहें विदाई मेह को,फिर आना हे इन्द्र। फिर आना हे इंद्र,रबी का मौसम आया। बोएँ फसल किसान,खेत मानो हरषाया। शर्मा बाबू लाल,देख मौसम बेदर्दी। सहें ठंड की मार,जरूरत भी है सर्दी। मौसम सर्दी का हुआ,ठिठुरन लागे पैर। बूढ़े और गरीब से,रखती सर्दी बैर। रखती सर्दी … Read more

चंद्र,इन्द्र…हम

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* चंद्र इंद्र नभ देव,सदा शुभ पूज्य हमारे। हम पर रहो प्रसन्न,रखो आशीष तुम्हारे। लेकिन मन के भाव,लेखनी सच्चे लिखती। देव दनुज नर सत्य,कमी बेशी जो दिखती। क्षमा सहित द्वय देव,पुरानी बात सुनाऊँ। लिखता रोला छंद,भाव कुछ नये बताऊँ। शर्मा बाबू लाल,सुनी वह तुम्हें सुनाता। बीत गया युग काल,याद फिर से आ … Read more

रत्न चतुर्दश

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* (रचना शिल्प:मापनी मुक्त सम मात्रिक छंद है यह। १६,९ मात्रा पर यति अनिवार्य चरणांत २१२, २ चरण सम तुकांत,४ चरण का छंद) मंदराचल को बना मथनी,रस्सी शेष को। देवदनुज सबने मिल करके,मथा नदीश कोll किया अथक प्रयास सभी ने,रहे वहां डटे। कर लिया प्राप्त मधुरामृत जब,सभी तभी हटेll रत्न चतुर्दश … Read more

संघर्ष

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* ये जीवन एक संघर्ष है, इससे हार नहीं मानो। कदम-कदम है एक चुनौती, इससे लड़ने की ठानो॥ विघ्न और बाधाओं से जो, कभी नहीं घबराता है। जीवन की कठिन परीक्षा में, सफल वही हो पाता है॥ जब तक ये अपना जीवन है, बाधाओं का अंत नहीं। जीवन राह भरी काँटों … Read more