पानी है अनमोल
बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* क्षिति जल पावक नभ पवन,जीवन ‘विज्ञ’ सतोल। जीवन का आधार वर,पानी है अनमोल॥ मेघपुष्प,पानी,सलिल,आप: पाथ: तोय। ‘विज्ञ’ वन्दना वरुण की,निर्मल मति दे मोय॥ जनहित जलहित देशहित,जागरूक हो ‘विज्ञ।’ जीवन के आसार तब,जल रक्षार्थ प्रतिज्ञ॥ वारि अम्बु जल पुष्करं,अम्म: अर्ण: नीर। उदकं,घनरस शम्बरं, ‘विज्ञ’ रक्ष मतिधीर॥ सरिता तटिनी तरंगिणी,द्वीपवती सारंग। नद सरि … Read more