उड़ना पंख पसार
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* ये तन पंछी मान कर,उड़ना पंख पसार।नील गगन की छाँव में,सुन्दर-सा संसार॥सुन्दर-सा संसार,सजाना साथी सपने।मिले सभी को प्यार,बसे घर मेरे अपने॥कहे 'विनायक राज',हौंसला रखना रे…