लक्ष्मण शक्ति प्रसंग

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** मेघ-सा वो नाद करके,हँस पड़ा था जोर से,तू बचेगा अब कहाँ से,भाग जा रण छोड़ केदर्प से सीना फुलाकर,बुदबुदाने वो लगा,छोड़कर वो बाण अपना,मुस्कुराने था…

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करूँगा उजियारा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** नया कुछ कर दिखाऊँगा मैं इस दिवाली में,नये सपने सजाऊँगा मैं इस दिवाली में नहीं होगा किसी को भी अहसास यूँ गम का,गले सबको लगाऊँगा मैं…

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फैल रही दूधिया चाँदनी

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** फैल रही दूधिया चाँदनी,पूर्ण चन्द्र सुहावनी,पँख लगा मन उड़ पहुँचा,गगन पार उड़ावनी।देख रही धरती आनंदित,शीश तारे छाँव में-तारा मंडल बन सरिता सर,दीपदान मन भावनी॥ जनम-जनम साध हुई पूरी,मैं…

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मीत मेरे

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** करवा चौथ विशेष.... मीत मेरे,सिंदूर सुहाग,साथ तेरा,मेरा सौभाग। चाँद तुम तुम्हीं करवा चौथ,सजन तुम मेरे,धन है भाग। रातरानी संग पारिजात,महकती गीत की मधुर राग। बाबुल तुझे दे मेरा…

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कुछ कह तो सही

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** सुनेगा जमाना कुछ कह तो सही,अकड़ छोड़ खामोश रह तो सही। ख्यालात जर्जर अभी छोड़ कर,नये सोच के कर जिरह तो सही। यहाँ ऐब किसमें नहीं है बता,करो…

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मेघ तड़पाते मुझे

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** अपलक निहारूँ साजना मैं मोहिनी सूरत मगन,तेरी नजर मुझ पर पड़े मुखड़े छुपा देखूं सपन। कर साज कंगन मेंहदी श्रृंगार सब तेरे लिये,मैं लाज भारी पलक ढक हिय…

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जी लें एक ज़िन्दगी नई

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ आओ आज,करें कोई बात नई।छोड़ो पुराने गिले-शिक़वे,छेड़ो कोई ग़ज़ल नई। गर्म हवाओं से,जिस्म थकने लगा है।दे इसको एक,ठंडक नई। ज़िन्दगी की तल्ख़ियों ने,आज ख़ुद को भुलाया है।दें अपने…

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तुम बनी हो प्रेयसी

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* तुम बनी हो प्रेयसी मैं,बन चुका हूँ गीत हूँ,मैं तुम्हारी कल्पना में,बस गया हूँ मीत हूँ। द्वार पर घर आँगने में,रच रही हो अल्पना,अल्पना में बस कर…

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घर-आँगन प्रेम बरखा

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प:मापनी २१२२ २१२२ २१२२ २१२,पदांत-रहे;सामंत-आते छाए मेघा प्रेम की विश्वास गहराते रहे,पात चमकीली बहारा बूंद ठहराते रहे। क्यारियों दिल बीच एहसास के पौधे लगा,सींच शीतल बोलियाँ फौहार…

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दिल में यही मलाल

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** दिल में जाने उठ रहे कैसे हैं ये सवाल,हैं दिल के जो धनवान बनाया उन्हें कंगाल। दौलत से नवाज़ा उन्हें दिल‌ क्यों नहीं दिया,कैसा ये तेरा…

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