अपूर्ण क्षति

रीना गोयलयमुना नगर(हरियाणा)************************************************************* (रचना शिल्प:२१२२ २१२२ २१२२ २१२) बोझ सीने में दबाकर,सब अकेले सह गए।कुछ कभी कहते किसी से,खुद सिसकते रह गए।हाथ जीवन से छुड़ाया,मृत्यु को अपना लिया।हैं सभी हैरान…

0 Comments

माँ का आँचल

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************************** माँ जगत कल्याणकर्त्री,हे धरा,करुणामयी।प्रेममय आँचल तुम्हारा,तुम दया ममतामयी।हो जगत जननी चराचर,विश्व आँचल में लिये।सृष्टि के आरंभ में सह,ताप वायु व जल दियेll महापरिवर्तन धरा पर,ज्वालामय अंगार…

0 Comments

बेघर मजदूर

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************************** आज बेघर है दु:खी मजदूर है।भूख से कैसे बचे मजबूर हैll कौन विपदा से बचाए भूख से।आज पैदल ही भटकता दूर हैll घर कहीं बच्चे कहीं…

0 Comments

गौरी

सुदामा दुबे  सीहोर(मध्यप्रदेश) ******************************************* छन-छन छनकायेंं पायलियाँ पाँव में, गौरी आई गुलमोहर की छाँव में। लगे नैन उसके काजल से कजरारे, झूमे अल्हड़ कैश पवन के दाब में। सोहें तन…

0 Comments

बेरोजगारी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** रोजी-रोटी का संकट है, मेरी राह विकट है। पेट पीठ मिल एक हुए हैं, जठराग्नि उद्दीप्त है॥ कैसे जीवन आज निभाऊँ, यह परिवार बचाऊँ। सभी…

0 Comments

प्रीत के पावन भाव प्रिये

सुदामा दुबे  सीहोर(मध्यप्रदेश) ******************************************* लिए हुए वो प्रीत के पावन भाव प्रिये, खड़ा अटल-सा पथ में अपने पाँव प्रिये। चटक सिंदूरी से तन पर उसके बाने, ठंडी शीतल-सी है उसकी…

0 Comments

विश्वास मुश्किल है

कमल किशोर दुबे कमल  भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************************************************** आजकल इन्सान से कुछ आस मुश्किल है। आदमी पर हो गया विश्वास मुश्किल हैl राह काँटों से भरी है,दूर मंज़िल भी, डगमगा जाएँ कदम,आभास…

0 Comments

अनुबंधों के सम्बन्धो में

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* अनुबंधों के सम्बन्धों में,जाने कहाँ सम्बंध खो गये, अपने,अपने नहीं रहे अब,जाने क्यों प्रतिबन्ध हो गये। सुख-दु:ख था जीवन में फिर भी,सुखमय सबको लगता था,…

0 Comments

सावन

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* उमड़-घुमड़ जब आता सावन। हृदयतल प्यास जगाता सावन। गरजते बादल,चमकती बिजली, पिया बिन नहीं,लुभाता सावन। नाचे मोर,अरु पपीहा बोले, राग मल्हार सुनाता सावन। लहर-लहर लहराये…

0 Comments

पराक्रम

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** खड़े हैं सीमांत में,इस देश हित के कारने। शत्रुओं का दमन कर,आतंकियों को साधने। देश है मेरा खड़ा,हूँ दुश्मनों को मारने। गया हूँ इस समर…

0 Comments