क्या कहूं…!

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** जब-जब आती है बारिश,मन कहे कि देखता रहूंयाद आती है वो बारिशें,मन फिर से भीग जाता हैकितना मजा, के क्या कहूं…! पोते को स्कूल छोड़ने जब,जाता हूँ तब…

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परिंदों की तरह

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** परिंदों पर एतबार कैसे,यह तो उड़ने की लत से सराबोर रहते हैंमुश्किल वक्त में तन्हां रहने पर,आसमां में उड़ान भरने लगते हैं। अब तो दुःख इस बात का है,बच्चे…

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हिन्दी ममतामयी

वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ हिंदी और हमारी ज़िंदगी... पूर्वजों द्वारा प्रदत्त हमें हिंदी राष्ट्रभाषा उपहार मिला,स्वर्णाक्षरों में यह अपना अनुपम इतिहास बतलाती है। अंग्रेजी के छा जाने से कितनी पीड़ाएँ हैं इसने…

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‘हिन्दी’…एक सम्मान-एक विश्वास

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ हिंदी और हमारी ज़िंदगी... 'हिन्दी'… न सिर्फ एक 'भाषा',बल्कि भावनाओं का एक मर्म हैकभी विचारों की गहरी अनुभूति है,'हिन्दी'…एक सम्मान, एक विश्वास। एक 'धर्म', एक 'भाव'…

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जन-जन का अभियान हिंदी

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* हिंदी और हमारी ज़िंदगी.... जगतगुरु अभिज्ञान है हिंदी,भारत का सम्मान है हिंदीशब्दों का भंडार है हिंदी,जन-जन का अभियान है हिंदी। सूरदास की दृष्टि हिंदी,मीरा के पद मिष्टी…

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दादा-दादी का खिलौना

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* दादा-दादी का खिलौना बन कर आई,खेली थी जिनसे, खिलाने उनको आई। पहले दादा खेलते थे कितना जग में,तब तो माँ थी मैं अभी पोती…

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साहित्य में जीवन सार

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)**************************************** साहित्य के साए में, पूरी होगी खुद की तलाश,अपनी अन्तर्चेतना का, होगा खुद को आभास। मार्ग मिलेगा खुद को, नए विचार पर चलने का,पवित्र दृष्टि से…

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मिलकर एक तो होना होगा

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** हिंदी और हमारी जिंदगी... राष्ट्र का गौरव शोभित करने को,फिर से हमको क्या लड़ना होगा ?राष्ट्र भाषा के सम्मानित पद पर,शासित हिन्दी को करना होगा। अमृत…

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सभी की प्यारी हिंदी

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** हिंदी और हमारी जिंदगी... क्लिष्ट संस्कृत कालांतर में,बन बंगाली कन्नड़ उड़ियापंजाबी सिंधी गुजराती,मलयालम तेलगु असमिया। राजस्थान, मराठी, नेपाली,अवधि, ब्रज, गोंडी, भोजपुरीहरियाणा कश्मीरी कुमांयू,बनारसी गोंडी छत्तीसगढ़ी। संस्कृत से…

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करें हिन्दी पर अभिमान

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** हिन्दी और हमारी जिन्दगी.... सिंधु को हिन्दु बोले ईरानी,हिन्दू से बना ,अपना हिन्दुस्तानभाषा से ही तो होती है अपनी,सभ्यता-संस्कृति की पहचान। सबकी अपनी-अपनी भाषा,अपने देश की अलग…

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