तरस रहा हूँ

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** मैं अपनों को तरस रहा हूँ,बिन बादल बरस रहा हूँ। अंधेरे में गुज़ार दी जिंदगी,अब धीरे-धीरे समझ रहा हूँ। अपाहिज-सा हो गया हूँ,विरह अग्नि में दहक रहा…

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‘मैं’ ही दुश्मन

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** यह आज की सच्चाई है,जगत-समाज में गूँज हैमुश्किल वक्त में तन्हां,रहने में नहीं रहती सुध है। साथी का हाथ नहीं थामा,जब उन्हें जरूरत थीआज मुश्किल वक्त में,दिखती उसकी अहमियत…

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हर हाल में मुस्कराना

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** हर हाल में बन्दे मुस्कराना,ना कर शिकायत, गा शुक्राना। आधार है तेरे जीवन का,चंद साँसों का ताना-बाना। बन कर मेहमान तू आया है,संसार है एक मुसाफ़िरखाना। तेरा…

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अब इंसाफ होगा

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** इंतजार बस इंतजार,राम का ही बस इंतजारबढ़ रहा है, बढ़ रहा है,हर ओर रावण अत्याचार। सह रहे हैं, सह रहे हैं,मुँह से कुछ ना…

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प्रेम की देवी राधा रानी

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हाँ हाँ, राधा रानी है बरसाने वाली,मधुर प्रेम भरी गंगा बहाने वालीराधा रानी गीत प्रीत का गाने वाली,प्रेम भंवर में हृदय को डुबाने वाली। बाँसुरी की…

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टटोलती मैं चेतन मन

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* रात की नीरवता में मन का चिन्तन,बारिश में भीगी खामोश सड़क। उसपे स्ट्रीट लाइट की पड़ती चमक,चलती सर्र-सर्र शीतल पवन। मेरा हृदय सागर करता मन्थन,है…

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माँ…मजबूत कंधों का नाम

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** माँ संवेदना है, भावना है, अहसास हैमाँ जीवन के फूलों में ख़ुशबू का वास है। माँ रोते हुए बच्चे का ख़ुशनुमा पलना है,माँ मरुथल में नदी…

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हिंदी भाषा का सम्पूर्ण सम्मान हो

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** हिंदी मेरी माँ है,संवेदना से भरी, पूरा स्नेह हैप्रगति का आधार संग,जीवन की तेज रफ़्तार है। एक झूठी मृगतृष्णा नहीं,जीवन की अभिलाषा हैजीवन्त रूप में जीवन की एक,सटीक व…

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जलधर

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** जलधर को घिरते देखा तो,फिर चला ना दिल पर जोरप्यार की गगरी छलक उठी,वो हमें दिखने लगे चहुंओर। कैसे कहुँ दिल की बतिया,अब जिया मेरा भरमाएजी चाहे…

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बलिदानी क्या सोचेंगे ?

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** ओ पदवी के सब चाहवानों! अब तो पदवी का मोह छोड़ो,अपनी गलती का ठीकरा प्यारों, दूसरों के सर पर न फोड़ो। देश हमारा, हम सब हैं…

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