खुशियों के बीज
कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… हरी-भरी वसुन्धरा को, देख कर मेरा वतन मुस्कुरा रहा है ऐसे, फूल का कोई चमन। हर जवान देखता है, सीना तानकर यहां आजाद,भगत,बोस ने, जन्म लिया हो जहां। जमीं है मेरे प्यार की, जमीं मेरे दुलार की महक ये बिखेरती, प्रेम,पावन,प्यार की। ये धरा … Read more