फागुन आया

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** हवाओं की नरमी जब मन को गुदगुदाने लगे नई-नई कोपलें जब डालियाँ सजाने लगें, खुशनुमा माहौल लगे,मन में उठें तरंग तब समझो फागुन आया,लेकर खुशियों के रंग। खिलते टेसू पलाश मन झूमे हो के मगन पैर थिरकने लगे नाचे मन छनन-छनन, बैर-भाव भूलकर खेलें जब सभी संग तब समझो फागुन … Read more

एकता नहीं रही..

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* अब हमारे गाँव में एकता नहीं रही, इन्सानों के दिल में नेकता नहीं रहीl होलिका दहन करते थे सब साथ मिलकर, अब खर-कतवार जुटाने की चिंता नहीं रहीl जाते थे हम घर-घर जो गुलाल लेकर, अब पड़ोसियों से भी मित्रता नहीं रहीl पी के शराब बकते हैं घर में जो … Read more

आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* ‘आत्मजा’ खंडकाव्य से अध्याय-६ करती माँ आगाह सदा यों, बेटी अब तू हुई सयानी रखना फूँक-फूँक पग आगे, नाजुक होती बहुत जवानी। समझ न पाती माँ की बातें, आगे कुछ भी पूछ न पाती मुँह तक आता प्रश्न किन्तु वह, लज्जा फिर आड़े आ जाती। प्रश्न-प्रश्न ही रहे सदा से, मिले … Read more

ऐसी होली मनाईए…

अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* जरा अपने अहंकार को जलाईए, इस बार ऐसी ही होली मनाईए। सोचिए,राग-द्वेष गर जल जाएंगे, सच में रंग फागुन में ऎसे खिलाईए। रखा क्या है नफरत की भाषा में, प्रेम से ही अपना सबको बनाईए। अब तो गुलाब-टेसू भी बगिया में हर्षित हुए, फागुन की पुरवाई में फसलों-सा मस्ताईए। लाल-पीला … Read more

होली की गंध..

हेमा श्रीवास्तव ‘हेमाश्री’ प्रयाग(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* एक मादक-सी गंध है होली में, बैठी हूँ,कुछ रंग लिए टोली में। मन में है उल्लास तेरी बस याद, चढ़ी बैठी हूँ साँझ की डोली में। आचल में सफेदी पहन रखी है, तेरे रँगों की रँगीनी की ताक में। भीगे मौसम की ये है नरम धूप, अभी बसंत-शरद की आस … Read more

….तो समझ लेना होली है

संदीप सृजन उज्जैन (मध्यप्रदेश)  ****************************************************** सियासत की शतरंज से बाहर निकलकर, बादशाह,वजीर और प्यादे सब एक ही अंदाज में नज़र आए, तो समझ लेना होली है। पड़ोसी घूरता है इस बात की शिकायत जो दिन-रात करती है, वही पड़ोसन जब चिढ़ाती हुई गुजर जाए …तो समझ लेना होली है। सरहदों पर गूंज हो जब बम-गोलों … Read more

बेटी है शान

मनीषा मेवाड़ा ‘मनीषा मानस’ इन्दौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************************** राग है,साज है, हमको तुम पर नाज हैl गीत हो,ग़ज़ल हो, तुम ही जीवन संगीत होl तेरी खिल-खिलाती हँसी, देती है रोज नया जीवनl बनी रहे सदा ये यूँ ही, होता रहे रोशन घर-आँगनl आशा का एक दीप जलाया, छू ले तू ये नभ-गगनl सब बाधाओं को पार कर, … Read more

२०५० की होली

विजयलक्ष्मी जांगिड़ ‘विजया’  जयपुर(राजस्थान) ***************************************************************** एक दिन स्कूल का प्रोजेक्ट करते-करते, बेटे ने पूछा- “पापा ये रंग क्या होते हैं ? कहाँ मिलते हैं ?” मैं जो वाट्सएप पर, अपनी ठीक-ठाक-सी फोटो को रंग-बिरंगी बनाकर स्टेटस पर डालने में व्यस्त था, सो कह दिया- “गूगल से पूछो,बेटा।” बेटे ने गूगल पर खोज करते-करते मुझसे फिर … Read more

होली का त्यौहार

गोपाल कौशल  नागदा (मध्यप्रदेश) *********************************************************** गुलाल की बौछार, पिचकारी की धार। गुझिया की मिठास, रिश्तों में भरे प्यारll होलिका का संहार, जीते प्रहलाद कुमार। बुराई का होता अंत, कहे होली का त्यौहारll छाया रंगों का शुमार, लाया प्रेम की फुहार। बसंती टेसू-पलाश, रंग का चढ़ा खुमारll ढोल-मांदल बजे द्वार, देने खुशियां अपार। सदा मुस्कुराते रहो, … Read more

देख नज़ारा होली का

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* पहले ही थे गाल गुलाबी, रंग चढ़ गया होली का। साजन ने मारी पिचकारी, निखर गया रंग चोली का। यौवन पर हुआ देहरी के, मन हो गया बावरा। अँखियाँ ढूंढ रहीं प्रियतम को, कहाँ छिपा है साँवरा। फ़ागुन की अब चली बयार, साजन बैठा है उस पार। देख नज़ारा … Read more