प्यारी चिट्ठियाँ

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  आसमां पर बादलों की चित्रकारी चिट्ठियाँ। शाम,शब,शबनम,शज़र,गुल रब की प्यारी चिट्ठियाँ। ले के आतीं हैं कभी उम्मीद के सूरज गई, या कभी ढलती हुई शामों-सी हारी चिट्ठियाँ। रात में तारीक़ियाँ बढ़ने लगीं तो फिर यहां, चांद तारे शम’अ सी रोशन उतारी चिट्ठियाँ। दो घड़ी की ज़िंदगी का … Read more

मुद्दत के बाद मुलाकात हो गई…

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* मुद्दत के बाद उनसे मुलाकात हो गईl जैसे सेहरा में फिर बरसात हो गई। यकीं दिलाया था उनको हमने बहुत, न जाने क्यों बात सब बेबात हो गई। पहुँचने वाले थे मंजिल पे हम अपनी, कि अचानक चलते-चलते रात हो गई। विश्वास जताया था जिसमें हमने बहुत, उनसे ही विश्वास … Read more

हमारी जान है हिंदी

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** (रचना शिल्प:१२२ १२२२ १२२२ १२२२) हमारी शान है हिंदी,हमारी जान है हिंदी। हमारे देश की यारों,सदा पहचान है हिंदी। जिसे दिनकर,रहीमा,सूर,ने सिर पर सदा रक्खा, वहीं तुलसी,कभी मीरा,कभी रसखान है हिंदी। हजारों नाम हैं जिनने किया है होम जीवन को, हमें बच्चन,कबीरा,मैथिली,पर मान है हिंदी। नहीं तुम जानते हरिऔध … Read more

बीज वो अमन के बो गए…

दीपा गुप्ता ‘दीप’ बरेली(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** (तर्ज-उनसे मिलकर देखिए कितने मुक़म्मल हो गए। रचना शिल्प:२१२२ २१२२ २१२२ २१२) वीर धरती पर निछावर देश के लो हो गए। प्राण पण से वो लड़े अहले वतन हम रो गए। आँख नम हैं हम सभी की देख कर कुर्बानियां, देश की खातिर दीवाने नींद मीठी सो गए। नाम … Read more

ये चाक जिगर के सीना भी जरूरी है

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************* ये चाक जिगर के सीना भी जरूरी है। कुछ रोज़ खुद को जीना भी जरूरी है। ज़िंदगी रोज़ ही नए कायदे सिखाती है, बेकायदे हो के कभी पीना भी जरूरी है। सब यूँ ही दरिया पार कर जाएँगे क्या, सबक को डूबता सफीना भी जरूरी है। जिस्म सिमट के पूरा … Read more

कैसे हो बरसात शह्र में…

बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’ अहमदाबाद (गुजरात) ********************************************************************* है धुंध-धुंआ-गर्द की सौगात शह्र में। कितने बुरे हैं देखिये हालात शह्र में। क्यों खून से हैं लथपथ अखबार आजकल, क्या मर गये हैं लोगों के ज़ज्बात शह्र में। हैं पीठ पर निशाँ कई खंज़र के आज भी, कुछ दोस्त ने दिए थे जो सौगात शह्र में। पत्थर के … Read more

उनकी कमी खली जाए

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** साँस जितनी बची चली जाए। जिंदगी फिर नहीं छली जाए। स्वार्थ वाली पकी तवा रोटी, साग अब फिर कहीं जली जाए। मुस्कुराते रहे हज़ारों में, आज उनकी कमी खली जाए। गम हटा कर कभी चला करना, राह फिर मौज से ढली जाए। हार दर पर तेरे चढ़ाया जो, नोंचती तो नहीं … Read more

चुभन पहचान लेना तुम

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** (रचना शिल्प:अरकान-१२२ १२२२ १२२२ १२२२) सदा रहती नहीं है ये जवानी मान लेना तुम। नहीं सब व्यर्थ हो जाये समझ इंसान लेना तुम। ख़ुदा के पास जाना है करम कुछ हो तेरा ऐसा, हकीकत में यहाँ भगवान को अब जान लेना तुम। ज़रा-सी जिंदगानी है गुमां करना नहीं … Read more

प्यार कौन करे

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************  ज़िंदगी फिर से ख़ार कौन करे। प्यार अब बार-बार कौन करेl प्यार मीरा-सी इक इबादत है, प्यार को दागदार कौन करेl जिसके किरदार में न खुशबू हो, ऐसी सूरत से प्यार कौन करेl प्यार है इक सदा खमोशी की, प्यार को इस्तहार कौन करेl प्यार की राह … Read more

बिन लड़े कौन जीत पाता है भला

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** (रचना शिल्प:बहर-२१२२ २१२२ २१२२ २१२) झाड़ आँगन आज कोई अब लगाता है भला। बिन लड़े ही कौन जग में जीत पाता है भला। बस यूँ ही तकदीर को कब तक रहोगे कोसते, देख ठोकर कौन फिर से चोट खाता है भला। राह की बाधा अनेक सर उठाये जो अगर, मुश्किलों से … Read more