…और दम्भ दह गये
बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* घाव ढाल बन रहेस्वप्न साज बह गये।पीत वर्ण पात होचूमते विरह गयेll काल के कपाल परबैठ गीत रच रहा,प्राण के अकाल कविसुकाल को पच रहा,सुन विनाश गान खगरोम की तरह गये।पीत वर्ण…ll फूल शूल से लगेमीत भयभीत छंद,रुक गये विकास नवछा रहा प्राण द्वंद,अश्रु बाढ़ चढ़ रहीडूब बहु ग्राह गये।पीत…ll चाह घनश्याम मनरात … Read more