जर्जर नौका गहन समंदर

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* मँझधारों में माँझी अटका, क्या तुम पार लगाओगी। जर्जर नौका गहन समंदर, सच बोलो कब आओगी। भावि समय संजोता माँझी, वर्तमान की तज छाया अपनों की उन्नति हित भूला, जो अपनी जर्जर काया क्या खोया,क्या पाया उसने, तुम ही तो बतलाओगी। जर्जर…ll भूल धरातल भौतिक सुविधा, भूख प्यास निद्रा भूलाl रही … Read more

‘कोरोना’ से हिंदुस्तान लड़ेगा…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** जिस ‘कोरोना’ से घबराया भाई सकल जहान, उससे हिंदुस्तान लड़ेगा मेरा हिंदुस्तान। कोरोना के निशदिन भाई, लाखों गोले फूट रहे हैं। मरते लोग,उखड़तीं साँसें, फौलादी भी टूट रहे हैं। इंसानों के प्राणों पर है, इतना भारी संकट आया। कहता खुद को जो ताकतवर, वह अमरीका भी चकराया। जिस कोरोना … Read more

‘सामाजिक संबंध’ निभाएं

अख्तर अली शाह `अनन्त` नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. बहुत जरूरी हो तो ही हम, घर से बाहर जाएं यारों। ‘कोरोना’ को जीत,विजय का, घर-घर ध्वज लहराएं यारों॥ कोरोना के लक्षण हों तो, आइसोलेशन में हम जाएं। शंका पर भी क्वारेंटाइन, में रक्खें सबको सुख पाएं॥ सोशल डिस्टेंसिंग अपनाकर, कोरोना की चेन … Read more

शारदे विनय

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** करते हैं शारदे तुमको नमन, आ गए हैं तेरे दर पे रे हम। तुम्हारी इबादत है जीवन हमारा, कलम मेरी देखे रस्ता तुम्हारा… जो चाहती माँ करें वो सृजन। शब्दों के मोती हैं हृदय में जितने, जादू के खेले शब्दों के उतने… भाव सुमन से है रचना में दम। … Read more

मौसम को बदलने दो

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’ दिल्ली(भारत) ************************************************************ पैरोडी (श्रृंगार रस)……………… तुम्हें शब्दों में सजा लूँगी- तुम्हें शब्दों में सजा लूँगी। मौसम को बदलने दो- मौसम को बदलने दो…। चलेंगी जब ठंडी हवाएँ, बागों में हम-तुम जाएंगे। हाथों में हाथ पकड़कर, नाचेंगे,झूमेंगे,गाएंगे। देखे जो संग सपने, सब सच कर आएँगे। कब ? मौसम को बदलने दो- … Read more

अच्छा अपना गाँव रे…

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ****************************************************************************** शहर की हलचल,भागदौड़ से, अच्छा अपना गाँव रे…। सुकूँ जहाँ मिलता है दिल को, प्यारा ऐसा ठाँव रे…। शहर की हलचल… कल-कल करती बहती नदियाँ, खेतों में हरियाली रहती। गाँवों में खुशियाँ होती है, मीठी धुन में कोयल में कहती। याद बहुत आती अब हमको, वो पीपल की छाँव … Read more

हो गया सूना जहां…

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* पुत्र अमरेश के स्वर्गवास पर रचित……….. हाय अब मैं क्या करूँ, अब क्या रखा जग में यहाँ…। भीड़ में भी एक पल में, हो गया सूना जहां॥ तू विलग हो गया तन से, आत्मा मौजूद है। मैं विलग हूँ आत्मा से, तन यहां महफूज है। यह विषमता चीरती दिल, तू मिलेगा … Read more

…लेकिन जीत रखूँगा

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** मैं मधुरस को पीने वाला, रसना में नित गीत रखूँगा। चाहे कोई अनल मुझे दे, उर में अपने शीत रखूँगा॥ मैं सागर हूँ नहीं दिखाता, किसी और को कर के छाले। चुभते शूलों ने भी उर में, गीत दिये हैं नित मतवाले॥ पथ में ठोकर से गिर जाऊँ, उर में … Read more

प्रेम इबादत है,पूजा है

अख्तर अली शाह `अनन्त` नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** प्रेम लोक परलोक सुधारे, मेरा तो अनुमान यही है। प्रेम इबादत है,पूजा है, भक्ति यही,भगवान यही है॥ प्रेम को जिसने भी पहिचाना, उसने सबको अपना माना। रब का रूप देखकर सबमें, सबको सेवा लायक जाना॥ तम में कर देता उजियारा, लासानी दिनमान यही है। प्रेम इबादत है,पूजा है, … Read more

मेरी दादी कहती थी

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  (रचना शिल्प:कुकुभ छंद आधारित, १६ + १४=३० मात्रा प्रतिपद,पदांत SS,युगल पद तुकांतता।) मिल-जुल कर इस घर में रहना,मेरी दादी कहती थी। समझौता जीवन का गहना,मेरी दादी कहती थी। कहती थी लड़ने से बच्चों,घर की बरकत जाती है। लाख जतन कर लो फिर लेकिन,कभी न रौनक आती है। … Read more