सावन आयो रे

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* पायल छम छम संग देखो, ये सावन आयो रे। रिमझिम बारिश की बूंदों संग, ये सावन आयो रे। कारी बदरिया छाए गगन में, बादल आवारा मंडरा ये। दूर गये साजन की यादें, संग संग अपनी लाएं। ओ….ओ….ओ…. बारिश की बौछारों संग देखो, सावन आयो रे। सावन….॥ रंगे हाथ हैं … Read more

मेघा बरसे रे…

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** मेघा बरसे रे,जन सब हरसे रे, धरा पर बरसे मेघा रसधार। चले ठंडी बूंदों की फुहार, वसुधा पहने हरियाली का हार। बहारें गा रहीं गीत मल्हार, फिर तू क्यों तरसे रे। मेघा बरसे रे जन सब हरसे रे॥ झम-झम झम-झम बजे संगीत, दादुर भी गा रहे मिलकर गीत। दिखी है अब … Read more

आज बहुत रोने का मन है..

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** भीतर से मैं टूट चुका हूँ, आज बहुत रोने का मन है। दूर कहीं बस्ती से जाकर, जी भर कर सोने का मन है॥ बहुत देख ली सबकी यारी, रास न आई दुनियादारी, झूठे रिश्तों की माया में, मतलब की है मारा-मारी, अपना दु:ख अपना है लेकिन, और नहीं … Read more

जी चाहता है

पुष्पा अवस्थी ‘स्वाति’  मुंम्बई(महाराष्ट्र) *********************************************** जी चाहता है मेरा,भारत नव निर्मित हो, शहरों से गांवों तक-जन जन का हित हो। जी चाहता है…॥ हर घर में रोजी-रोटी हो,जन जन बनें सशक्त, अपराध मुक्त समाज हो,सब हों देशभक्त। जात-पांत और भेद-भाव से,हृदय रहित हो, जी चाहता है…॥ जय भारत गूंजे देश-देश में,आगे प्रवृत्त हों, विश्वगुरु होने … Read more

फुहार

छगन लाल गर्ग “विज्ञ” आबू रोड (राजस्थान) **************************************************************************** पुलक उठी है उर मनुहार, मुखर मुग्ध कर रही फुहारl सिहर उठा कोमल अति गात, चंचल मुग्ध बेसुध सखि रातl श्याम देह निखरी अनुपात, भरे मकरंद रस जलजातl रजत श्याम का मृदु श्रृंगार, मुखर मुग्ध कर रही फुहारl मधुर मिलन बढ़ जाता राग, धरा गगन मिल बना … Read more

….पर तुम कब आए

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* प्रतिपल आकुलता रहती है, प्रतिक्षण रहता हूँ मैं उन्मन। क्यों आघात किया आकर के, मम विरही हृदय में निर्मम। कितना पूछा द्रवित मन से,पर ना बताए, रोते-रोते रैना बीती,पर तुम कब आए॥ घुमड़-घुमड़ कर बदरा आकर, मुझे विरह-संगीत सुनाए। चातक सम मन हो पिपासित, पीहू-पीहू-गीत सुनाए। रिम-झिम,रिम-झिम नैना बरसे, मिलन … Read more

दोषी कौन…?

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** (‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ की स्थिति पर आधारित) गैरों की हम बात करें क्या,हम अपनों से हारे हैं। और शिखण्डी सरकारें अब,खेल खेलती सारे हैं॥ शिक्षा के मंदिर में जिसने,रणभेरी खूब बजाई थी। जिसकी भाषा पर भारत माँ,रोई और लजाई थी॥ जिसने माँ के आँचल पर भी,सरेआम आ थूका था। … Read more

प्यार का नशा

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** प्यार का नशा, यार के दीदार का नशा। नशा,नशा नहीं, मजा जिंदगी का।। कहीं दौलत का है गुरुर नशा, कहीं शोहरत का सुरूर नशा। हुस्न की हस्ती का नशा, इश्क की मस्ती का नशा। नशा,नशा है जिंदगी का, प्यार की बन्दगी का।। किसी को दानिश इल्म का नशा, किसी … Read more

हे माँ

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** तू अवनि अवतारी, पर्वत की बाला दुःख हरने वाली, जग कल्याणी! जय अम्बे जय जगदम्बे!! तू सीता सावित्री, पार्वती विघ्नेश्वरी भुनेश्वरी बाघम्बरी, चंडी चंडिका मनसा महिमा, मनोकामना! तू अवनि अवतारी, पर्वत की बाला दुःख हरने वाली, जग कल्याणी! जय अम्बे जय जगदम्बे!! तू लक्ष्मी गौरी, शिवा वैष्णवी रुक्मणि राधा, … Read more

माँ,जहाँ में मैं भी आना चाहती हूँ

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** भैया के ही जैसे हर पल खिलखिलाना चाहती हूँ, माँ नहीं मारो,जहाँ में मैं भी आना चाहती हूँ। है यही बस लालसा देखूँ ज़माने को जरा मैं, कुदरती रंगीनियाँ दिलकश खजाने को जरा मैं। तुम भले ही मुख नहीं यह देखना हो चाहती पर, चाहती देखूँ तुम्हारे मुस्कुराने को … Read more