दुष्कर्म
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** मानवीय संवेदना,मर्यादित आचार। क्या जाने कामी दनुज,घूमे कर व्यभिचारll निर्विवेक पशुतुल्य वे,कर कातिल शिकार। क्या बेटी माँ बहन हो,निर्दय कुटिल प्रहारll होता जग लज्जित वतन,उत्पीड़न नित देख। देवतुल्य नारी जहाँ,उपहासित उल्लेखll `ज़ल्लाद` कहो,`हैवान` या,`दानव`,`दुष्ट`, नृशंस। कहँ ख़ोजे इन्सानियत,दुष्कर्मी जो कंसll शैतानों का दिल कहाँ,दर्दिल हो मासूम। घाव दिया … Read more