मौज-मस्ती की,नाम भी खूब कमाया

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष …….. मेरा विद्यार्थी जीवन गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ था। जैसा धुंधला-सा याद आता है उस दिन माताजी,जो बालक कि प्रथम गुरु होती है,ने सर्वप्रथम प्रभु श्री गणेशजी की पूजा कराई और उसके बाद मेरी पाटी (स्लेट) की पूजा ही नहीं करवाई,बल्कि बरते (जिससे स्लेट पर … Read more

संघर्षमय मेरा विद्यार्थी जीवन

डॉ.पूर्णिमा मंडलोईइंदौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************** मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष …….. विद्यार्थी जीवन जितना मस्ती भरा और बेफिक्री का होता हैैैै,वहीं कभी-कभी संघर्ष से भरा हुआ भी होता है। बचपन से लेकर युवावस्था तक निरन्तर चलता रहता है। बल्कि,कहूंगी जीवन पर्यंत चलने वाला होता है विद्यार्थी जीवन। जो विद्यार्थी संघर्ष करता है,वह निश्चित ही अपने लक्ष्य को … Read more

अपना-पराया

श्रीमती चांदनी अग्रवालदिल्ली***************************** हम सबने परिवारों की बातचीत में अक्सर सुना है कि अपना तो अपना ही होता है। पराया अपना नहीं हो सकता। मुझे तो ऐसा लगता है कि जिस व्यक्ति से हमारा मन मिल जाता है,वह अपना-सा लगने लगता है। दूसरी ओर कोई अपना निकट का होकर भी पराया लगता है।अभी पिछले महीने … Read more

प्यारा बेटा

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ हम ३ बहनें और १ भाई थे। माँ-बाप ने हमें बड़े प्यार और दुलार से पाला-पोसा और बड़ा किया। ये १९८० के दशक की बातें हैं। मुझे इतनी समझ तो ,(जब मैं छठी कक्षा में थी) आ चुकी थी कि माँ मेरे भाई को हम सब बहनों से ज़्यादा प्यार करती है।हम सरकारी … Read more

काश! वो बचपन वापिस आ जाए

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. गरिमामय,प्रभावशाली,अति शानदार व्यक्तित्व के धनी मेरे पिता राम प्रकाश भल्ला-समाजसेवी, स्पष्टवादी,स्वावलम्बी,अथक परिश्रमी,सत्यवादी, निर्भीक,अनुशासन प्रिय,शालीन,दार्शनिक,विनम्रता, परोपकार आदि गुणों से सदैव सभी के प्रिय रहे।छोटा हो या बड़ा,निर्धन हो या धनवान,सभी से समभाव स्नेह करते व सम्मान करते थे। पिता जी, किशोरावस्था से ही … Read more

गंभीर मामलों में भी धैर्य नहीं खोते थे पिताजी

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. आज वाले कोलकात्ता के व्यस्तम इलाके में स्थित एक मकान के तीसरे माले में मेरा बचपन बीता। पिताजी के आँगन में पाँव रखने के साथ हम भाई- बहन सम्भल जाते थे। मेरे अपने बड़े ‘माँ जाये भाई’ व मेरे बीच २० साल का … Read more

सुखद अनुभव

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) ***************************************** ‘कोरोना’ महामारी की वजह से पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है। अधिकांश लोग बेरोजगार हो गए हैं,मैं भी इसी श्रेणी में हूँ। मैं अपने गाँव में परिवार और मित्रों के साथ जीवन व्यतीत कर रहा हूँ। एक दिन की बात है। घर बैठे-बैठे ऊब रहा था तो सोचा कि चलो खेतों … Read more

माँ की बातें…सीख

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** माँ के बारे में जितना लिखूँ,कम है। मुझे अपनी माँ की बहुत सी बातें याद हैं। प्यार,हुनर,अक्लमंदी और सीख बहुत याद आती है। आज उन्हीं की शिक्षा के कारण हम ससुराल में अपने दायित्व को पूरी तरह से निभा पा रहे हैं। हमारी माँ को अपने सास-ससुर का प्यार कभी नहीं मिला। … Read more

बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद…!

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** बात लगभग २०१० की है,जब मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में परास्नातक करने के लिए प्रवेश लिया। उस समय मैं बकायदा ढीली शर्ट और सामान्य पेंट पहनता था। ढीली-ढाली शर्ट पैंट पहनकर बकायदा गले में सफेद अंगौछा डालकर महाविद्यालय जाया करता था। मैंने शहर के ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबंधित महावीर प्रसाद … Read more

‘मैं तो राम बनूँगा…’

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** यादों का झरोखा….. कितना प्यारा लगता है ना अपना बचपन याद करना। वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी…धागे से बाँधकर कागज़ की नाव को तैराना…पहलदूज खेलना,रस्सी कूदना, गिट्टे और स्टापू खेलना,छुपम-छुपाई,लंगड़ी टांग…।जिस दिन इकन्नी मिल जाती थी,उस दिन तो हम अपने-आपको शहंशाह समझते थे। उस इकन्नी में एक सप्ताह तक … Read more