जाग तुझको दूर जाना

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** आज तू है व्यस्त माना,या कि होगा पस्त, मानापर, नहीं हो हार तेरी,जाग तुझको दूर जाना। व्यथित पीड़ा, व्यस्त डोले,तिमिर पथ की राह खोलेमनुज का तू पहन…

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सुन मेरी अरदास नाथ

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम.... शंभु-शिवा तुझको नमन, मेरे पालनहार।सदा शीश पर हाथ हो, हो जाऊँ भव पार॥ सुन मेरी अरदास को, झटपट आना नाथ।चरणों में नित…

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अवसर जन-अभिव्यक्ति का

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* राजनीति सरगर्मियाँ, लोकसभा मतदान।अवसर जन अभिव्यक्ति का, रचना तंत्र विधान॥ लोकतंत्र साक्षी बने, चलें करें मतदान।योगदान चहुँ प्रगति दें, लोकतंत्र सम्मान॥ फिर चुनाव मंथन…

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भारत की पहचान बनो

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** बाल कटाए लड़कों जैसे,पहने जींन्स और टी शर्टहाथ बढ़ा कर बोलीं मैडम'हैलो सिस्टर हाउ डू यू डू।' हाथ जोड़ कर बोल उठी तब,'मैं तो बिलकुल अच्छी हूँहाल…

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चाँद का फूल…

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** नानी का घर और छत पर सोना,चाँद का फूल, अम्बर का बिछौना। तारों से बातें कर-कर रोना,छूट गया यह सब, बस रह गया कोना। छूट गए…

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चलो दूर सपनों की दुनिया में

डॉ. सुनीता श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)*************************************** चलो चलें अब कुछ दूर,सपनों के गहरे समंदर मेंअधूरे ख्वाबों का साथी,आसमान की उड़ानों में। सूरज की किरणों के साथ,हो चलें हम सवेरे के साथपुनः लिखें…

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दारुण जन

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** दारुण जन के पीर पर, सदा लगाए मर्म।मानवता की राह पर, श्रेष्ठ यही है धर्म॥श्रेष्ठ यही है धर्म, हृदय से सोचें उत्तम।दु:ख पीड़ा को देख, लगावें…

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पायल के स्वर

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* नीर भरे नयन लेकर, पूछती है कंगना,कहो ना सखी कब आएंगें, मेरे सजनाअपने कोमल हाथों से मुझे सहलाएंगे,कहेंगे बहुत सुन्दर लग रही है, कंगना। हर रोज,…

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अपनी यादों से जुदा न कर सके

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* तुझसे बात करने का दिल करता है,पर सारे रास्ते बंद नज़र आते हैंमिलने की उम्मीद भी,अब धूमिल नज़र आती है। क्यों सिमट गए हो सिर्फ़, अपनी…

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पागल होना ही है

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* मैं पगली हूँ,लोग मुझे पगली कहते हैं।पर मुझे पगली बनाया कौन ने ?इसी समाज के दरिंदों ने। मेरी जवानी और,मेरे जिस्म के लालच मेंदरिंदों…

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