जल जीवन है और जीवन जल

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) *************************************** ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… ज-से जन्म लिया हमने जब,ईश्वर का आभार मनाया है।मानव जीवन लेकर हमने,परम सौभाग्य भी पाया है। ज-से जननी एकमात्र…

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जल…

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… विकल-विकल जल बिना मानव,जल छुप जाए रसातल-तल। जल-जल वरदान है हमको,प्रकृति अनमोल देन पल-पल। तरल-तरल हो रूप बदलती,पानी की कहानी है छल-छल।…

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जल बिन धरती सून

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… आजा बादल आज तू,जल बिन धरती सून।तुझे पुकारे ये जहाँ,पादप वृक्ष प्रसून॥ देखो हाहाकार है,तड़प रहे हैं लोग।मानसून अब…

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विश्व नागरी लिपि संगोष्ठी ११ अप्रैल को

नागदा(मप्र)। नागरी लिपि परिषद् (नई दिल्ली) की इकाई मध्यप्रदेश एवं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना का संयुक्त आयोजन विश्व नागरी लिपि संगोष्ठी १२ अप्रैल रविवार को शाम ५ बजे होगी। संगोष्ठी आयोजक…

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जल जीवन

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************* ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… पारदर्शी पानी अति,पावन निरमल मेह।पानी के आभास से,बिखरे जग में नेह॥ मन पानी है कीमती,सकें मोल न तोल।ईश्वर का उपहार है,खर्चो…

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परवाह करो हर बूँद की

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष... वो बूँदें बह चुकी है,बर्बाद हो उठी हैज़मीन की वो भीनी-सी नमी,गुज़रे दौर की बात हो उठी है।वो सूखते दरिया,वो…

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कर्म बड़ा या भाग्य!

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ******************************************* कर्म के बिना,न कभी भाग्यउदय हुआ,न भाग्य भरोसेकभी किसी से,कोई कर्म हुआ।जो भाग्य के भरोसे,हाथ पर हाथ धरेबैठ रहे,भाग्य उनकेहाथों से,फ़िसल गया।भाग्य भी,उन्हीं कासाथ देता है,जो कर्म…

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समुद्र को अंजलि में भरना पड़ता है लघुकथा में-डॉ. शुक्ल

लोकार्पण..... इंदौर(मप्र)। ईसा की अनेक शताब्दी पूर्व कथा का उद्गम वेदों से माना जाता है परन्तु इसके नये रूप के लिए हम पाश्चात्य साहित्य के ऋणी हैं। भले ही लघुकथा,कहानी…

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कलम,कागज,और कल्पना

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)**************************************** मेरे अधरों की मुस्कान बन गई हो तुम,काली,लाल,हो या नीलीदिल के कागज पर जब चलती हो,हर एहसास को छू कर रूह में उतरती हो।न जाने किस जन्म…

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नेता का यही गुण

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* कभी शोला कभी शबनम नेता का यही गुण है,सुबह प्रसाद रात में रम,नेता का यही गुण है।कथन-करनी के अंतर का उदाहरण हैं नेता-पैसे की बरसात झमाझम,नेता का…

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