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भारत की संस्कृति-संस्कार,ताकतवर हथियार

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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विश्व लड़ रहा युद्ध मची हाहाकार,ना मैदान युद्ध का-ना गोली-ना तोप-बारूद,ना बम वर्षा,ना एटमी हथियार की धमकी,ना मिसाइल की मार,
घर में बैठा इंसान अदृश्य विषाणु की है दहशत मार।

एक-दूजे से दूरी रखने के अपराध की सजा काट रहा इंसान,
ना कोई दफा मुकदमा,ना कोई मुंसिफ दलील सजायाफ्ता मुजरिम-से भय से भयाक्रान्त इंसान।

मौत का तांडव नंगा नाच सूखी खाँसी,तेज बुखार, धड़कन की साँसें परेशान भयंकर महा विश्व युद्ध में घायल के घाव,
नहीं मिलाना हाथ,नाक ढको,करते रहो हाथ को साफ़।

घर में रहना मत जाना घर के बाहर भूल कर भी गए जो बाहर,
विषाणु ‘कोरोना’ का ना जाने किस वेष में झेलना पड़े कहर प्रहार।

भारत की संस्कृति-संस्कार,इस युद्ध से लड़ने के ताकतवर हथियार,
दुनिया में कुछ भी तहस-नहस कर जाए `कोरोना` भारत में निश्चित जाएगा हार।

हानि पृष्ठभूमि युद्ध का सिद्धान्त नेक नियति,सयंम,
संकल्पों से भारत युद्ध विजेता विश्वगुरु का होगा नाज़।

आओ हम भारतवासी इस त्रासदी महायुद्ध के सैनिकों को करें सलाम,
लड़ रहे हैं जो अपनी जान को जोखिम में डाले।

भारतवासी की जीवन रक्षा करते खाकी वर्दी,
कभी प्यार से,कहीं डांट से मानवता के मर्म मूल्य।

भूखों को भोजन पहुँचाते संकल्पित समर का साहस,
शक्ति का जवान,देश की मर्यादा-मान।

प्रेम,शान्ति का श्वेत,सौम्य वैद्य,चिकित्सक भारत का जाँबाज,
खुद की जान हथेली रख हर जान बचाने प्रण की प्रतिज्ञा अभिमान।

वेशभूषा अनेक,भाषा बोली अनेक,नेक इरादे का फौलाद,
लोकतंत्र का मजबूत चौथा स्तम्भ बुनियाद पत्रकार,
सुबह दिन-रात लम्हा-लम्हा देश को कर रहा
महायुद्ध के खतरों से आगाह भारत का नाज पत्रकार।

अभिनन्दन लड़ रहे कोरोना से युद्ध पुलिस,डॉक्टर, पत्रकार योद्धा महान,नर,नरेन्,नरेंद्र का संकल्प,
जीतेगा भारत-भारतवासी,हारेगा कोरोना दम्भ की दहशत हाहाकारll

परिचय–एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।
अनपढ़ औरत पढ़ ना सकी फिर भी,
दुनिया में जो कर सकती सब-कुछ।
जीवन के सत्य-सार्थकता की खातिर जीवन भर करती बहुत कुछ,
पर्यावरण स्वच्छ हो,प्रदूषण मुक्त हो जीवन अनमोल हो।
संकल्प यही लिए जीवन का,
हड्डियों की ताकत से लम्हा-लम्हा चल रही हूँ।
मेरी बूढ़ी हड्डियां चिल्ला-चीख कर्,
जहाँ में गूँज-अनुगूँज पैदा करने की कोशिश है कर रही,
बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ,स्वच्छ राष्ट्र, समाज,
सुखी मजबूत राष्ट्र,समाज॥

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