हर्ष भरा यह आज सफ़र है

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** जीवन घर तक,पर सुखकर है। कितना प्यारा लगता दर है। अब विराम में भी गति लगती, हर्ष भरा यह आज सफ़र है। जीवन लगता…

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चीनी माल:दोस्ती रखें,लेकिन अंधा भरोसा भी आत्मघाती

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** जैसी कि आशंका थी,वही हुआ। 'कोरोना' विषाणु परीक्षण के लिए चीन से मंगाए गए एंटीबाॅडी रैपिड टेस्ट किट्स के घटिया होने की गंभीर शिकायतों के बाद…

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विश्व विजेता होकर भी भारत में जाएगा हार

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** दहशत में दुनिया,दहल गई है दुनिया,बदल गई दुनिया,दुनिया के व्यवहार हैं, सड़कें,गलियां और मोहल्ले होने लगे वीरान रौनक बाज़ारों की गायब, 'कोरोना' का हाहाकार…

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जीवन को बचाना है तो…

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** गाँव गली या शहर मुहल्ला,एक देश की बात नहीं है, हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई,'कोरोना' की जात नहीं है। सारी दुनिया जिसकी जद में,अब तो बाकी…

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सामाजिक मूल्यों को पोषित करती कृति ‘सपनों के सच होने तक’

संदीप सृजन उज्जैन (मध्यप्रदेश)  ****************************************************** पुस्तक समीक्षा................... एक कविता जितनी देर में पढ़ी या सुनी जाती है, उससे हजार गुना अधिक समय में वह कागज पर अवतरित होती है,और उससे…

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क्या कमाल है

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** उनके जुबां पर रहता जो बातों का जाल है ये उनकी शखसियत,दिमाग का कमाल है, अब उनकी उलझनों से,मेरा क्या है वास्ता- मेरे जहन में…

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प्रकृति का न्याय

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** बही सलिल शुद्ध,चली पवन शुद्ध, ये गगन भी,अब,मुस्काया है हो वात आवरण स्वस्थ,स्वयम् प्रकृति ने कदम उठाया है। प्रकृति सदा ही रही मित्र, मानव…

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अभी घर में रहना है

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’ धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** अभी घर में रहना है, नहीं कुछ भी कहना है छोड़ बाहरी तथ्यों को, घर में संयोग तलाशना है। अभी घर में रहना…

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कैसी ये लाचारी है ? 

अमल श्रीवास्तव  बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* शासन है पंगु आज,लोकतंत्र घायल है, स्वार्थ में ही लिप्त हुई चेतना हमारी है। एक ओर महामारी,एक ओर मारकाट, आम जिंदगी का एक-एक पल भारी है॥…

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रो रहा है आसमां

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** रो रही धरती अभी,रो रहा है आसमां, जल रहा सारा जगत,बुझती हर इक शमा। मौत का मंज़र यहाँ,ख़ौफ़ में सारा जहाँ, साँस सबकी थम…

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