माँ तो बस माँ…

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* याद करो अपने शैशव को,सुंदर से अपने वैभव कोमाँ थी तुमको रोज सजाती,भर-भर कर अंजन लगाती।थे तुम उसकी ऑंखों के तारे,दुनिया में तुम थे सबसे प्यारेकहकर चंदा वो तुम्हे बुलाती,हँसकर नित सीने से लगाती।बार-बार गालों को चूमती,बात तेरी सुन सुनकर झूमतीतुमको रातों की नींदें बाँटी,जग-जागकर सब रातें काटीं।वो महकी-सी फ़िजा … Read more

स्त्री हूँ मैं

वाणी वर्मा कर्णमोरंग(बिराट नगर)****************************** हाँ स्त्री हूँ मैं,जगत जननी शक्ति स्वरूपालज्जा रूप क्षमा रूप,जगदंबाअबला नहीं सबला हूँ मैं,हाँ स्त्री हूँ मैं…। पर हाय रे विडंबना,समर्पित फिर भीपल-पल त्रसित-ग्रसित,और तिरस्कृतहोती हूँ मैं,हाँ स्त्री हूँ मैं…। कहीं भ्रूण हत्या,कही बलात्कृततो कही जिंदा जलाई,जाती हूँ मैंहाँ स्त्री हूँ मैं…। घर मे ही बेघर,हिंसा अत्याचार की शिकारआँचल में ममता … Read more

माहौल

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ दुनिया को डरा रही है मौत की परछाइयाँ,सब ही समझ रहे हैं इसकी गहराइयाँ। कैसा राक्षस है ये क़फ़न बेचने वाला,अब भी उसे तो चाहिये मीठी मिठाईयां। लाशों पर अपनी रोटियाँ सेंकने वालों,आएगी कभी तो तुम्हारी भी बारियाँ। क्यों हवा में भयानक ज़लज़ला आया है,प्राणवायु के लिये मजबूर भरते सिसकारियाँ। जो दवाई मुफ़्त … Read more

इक निगाह माँगते हैं

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रहें कैसे जिंदा हम सलाह माँगते हैं।मौत से कह दो एक गुनाह माँगते हैं। तेरा झूम के खिल-खिल अदा से हँसना,गुले-गुलशन इक निगाह माँगते हैं। बिखरते मोती रुखसार पे जुल्फों से,आवारा बादल तुमसे पनाह माँगते हैं। पलकों में बेआसरा एक बूंद अब्र की,तुमसे रहने को ख्वाबगाह माँगते हैं। जहाँ के लिए भरे दिल … Read more

जिंदादिली से खेलते ही जाइए

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** ज़िन्दगी इक खेल है बिल्कुल नहीं घबराइए,बस इसे जिंदादिली से खेलते ही जाइए। है हमारी खुशनसीबी मनुज तन हमको मिला,ईश का इसके लिए आभार करते जाइए। बाँटनी है हर खुशी डर छोड़कर माहौल का,मार वो सकता नहीं इतना समझते जाइए। भूल जाओ ये ‘कोरोना’ है महामारी नहीं,जो बताया बस वही उपचार … Read more

इंसानियत को जिंदा रखो

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** इंसान की औलाद हो,इंसान तुम बनोइंसानियत को दिल में,अपने जिंदा तुम रखोमतलब फरोश है ये दुनिया,जरा इससे बच के रहोलड़वा देते हैं आपस में,भाई-बहिन को।ऐसे साँपों से तुम,अपने-आपको बचाओ। कितना कमीना होता है,लोगों ये इंसानसब-कुछ समझकर भी,अनजान बन जाता है येऔरों के घर जलाओगे तो,एक दिन खुद भी जलोगेफिर अपनी करनी पर,तुम … Read more

हमारे पालनहार

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* पिता हमारे-संकट में रक्षक,ऐसे सहारे। पिताजी सख्त-घर पालनहारऊँचा है तख्त। पिता का साया-ये बाजार अपना,मिले ये छाया। पिता गरम-धूप में छाँव जैसे,है भी नरम। घर की धुरी-परिवार मुखिया,हलवा पूरी। पिता जी माता-हमारे जन्मदाता,सब हो जाता। पिता साहसी-उत्साह का संचार,मिटे उदासी। पिता से धन-हो जीवन यापन,ऋणी ये तन। पिता कठोर-भीतर से कोमल,न ओर … Read more

माँ

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** भँवर बहुत ही गूढ़ है,नाव रही है डोल।ओ माँ शेरा वालिये,झट दरवाजे खोल॥ विपदा बड़ी विशाल है,भू है डाँवाडोल।नयन भर गये नीर से,माँ दरवाजे खोल॥ बड़ी गहन,माँ देख ले,‘कोरोना’ की चोट।सुन माँ सब कहने लगे,ममता पर है खोट॥ पग-पग पर हैं माँ खड़े,कोरोना के शूल।आकर हर विपदा तभी,समय बने अनुकूल॥ माँ सुन … Read more

सूर्य स्तुति

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** भोर भयी,है उजियारा,नभ तिमिर का अंत हुआ,सूर्य रश्मि का संदेश गूंजा है,तमसो मा ज्योतिर्मयसृष्टि का,गगन में लिखा हुआ,दृश्य यह स्वर्ण-सा,नमस्तस्यै,नमस्तस्यै,नमस्तस्यै सूर्याय: नम:। प्रातः बेला की सहज सुखद है ईश्वरीय अनुभूति,आलस्य त्याग,उर्जा स्फूर्ति का हुआ उदय समयव्योम से उतर रहे हैं,स्वर्ण किरणों को बिखेरते,नमस्तस्यै,नमस्तस्यै,नमस्तस्यै भास्कराय नमः। खेत-खलिहान,जंगल-वन,शहर-भवन,चूल्हे-चौके शोर मचाते हर्षित,देख तेजोमयसर्व जग … Read more

विधिवत दीक्षित न होते हुए भी भाषा विज्ञान के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी

प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी:स्मृतियाँ प्रो. ठाकुर दास- सुप्रसिद्ध हिंदी भाषाविद् और अनुवाद सिद्धांत विशेषज्ञ प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी का असामयिक निधन अत्यंत दुखद एवं स्तब्ध करनेवाला है। गोस्वामी जी के साथ मेरा लगभग ५६-५७ वर्ष का मैत्रीपूर्ण परिचय एवं संबंध रहा है। वर्ष १९६४ में वे संघ लोक सेवा आयोग में कार्यरत थे,तभी मेरी आयोग … Read more