माँ तो बस माँ…
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* याद करो अपने शैशव को,सुंदर से अपने वैभव कोमाँ थी तुमको रोज सजाती,भर-भर कर अंजन लगाती।थे तुम उसकी ऑंखों के तारे,दुनिया में तुम थे सबसे प्यारेकहकर चंदा वो तुम्हे बुलाती,हँसकर नित सीने से लगाती।बार-बार गालों को चूमती,बात तेरी सुन सुनकर झूमतीतुमको रातों की नींदें बाँटी,जग-जागकर सब रातें काटीं।वो महकी-सी फ़िजा … Read more