कान्हा तुम धड़कन
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** कान्हा तुम धड़कन,तुम मेरी थिरकनसाँस-साँस सिमरन,तुम ही हो प्रान में। तुम भजन कीर्तनमंदिर या उपवनशीत और हो अगन,मोहन ही ध्यान में। बहते बन पवन,धरती और गगनतन मन ये नयन,तुम ही विधान में। रोम-रोम पुलकनसुख-दु:ख सिहरनतेरी बनी विरहनअज्ञानी में ज्ञान में। मनुआ नाचे मगनछोड़ के सारे बंधनमौन में और बयन,खोना पाना दान में। सुख … Read more