आँचल
डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** रिपुता का चलता नहीं, उस पर कोई दाँव। माँ जिसके सिर पर करे, नित आँचल की छाँव॥ हो आँचल की रोशनी, बिन बाती बिन तेल। कवि के उर से फूटती, नव रचना की बेल॥ माँ देना आँचल सदा, मिले सदा ही जीत। नई कलम से मैं लिखूं, नये-नवेले गीत॥ माँ … Read more