फिर चमन है मुस्कुराया
कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** गीत भौंरा गुनगुनाया,साथ में बसन्त आयाहो गए हैं दिन बहुत,पिय की मिलती न सुधचित पे क्यों दुःख है छाया,फिर चमन है मुस्कुराया…। बादलों की ओट से,बिजलियों…