निशा ढलती रही
डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ निशा इस तरह से ढलती रही,चंद्रमा की अठखेलियों सेप्रच्छन रजनी,ठुमकती सी चलती रही। सलल्ज चाँद अपनीस्निग्ध छटा बिखेरता रहानिशा…इस तरह से…। उन्मुक्त बादल से ओस की…