मोल एक ‘मत’ का…

डॉ. बालकृष्ण महाजननागपुर ( महाराष्ट्र)*********************************** एक वोट का मोल,तुम क्या जानो!मक्खन बाबू।अगर काबू में,रहे तो लाभवर्ना,बेकाबू हो तो हानि।यानी,एक वोट से चुनावजीता या हारा भी,जा सकता है।इसलिए-एक वोट का मोल…

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किताबें बोलती हैं

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* 'विश्व पुस्तक दिवस' विशेष.... किताबें बोलती हैं,कितने राज़ खोलती हैं। किताबें सुनती हैं,हमारी कहानियाँ कहती हैं। किताबें ज्ञान का समंदर है,उस भवसागर में गोता लगाने से…

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राह दिखाती सदा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** 'विश्व पुस्तक दिवस' विशेष... 'पुस्तकें',दोस्त हमारीसिखाती है जिंदगी,जीते हमजंग। 'पुस्तकें',गुरु-ज्ञानअनगिनत नसीहत देतीलाती रौशनीसफलता। 'पुस्तकें',परिवार भीअकेलेपन की साथी,छोड़ती नहींहाथ। 'पुस्तकें',चिंतन करातीघर, समाज, देश,बोलते हमसच्चाई। 'पुस्तकें',झूठी नहींइंसान की तरह,सच…

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खुशियाँ लाई

तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** गुड़िया आईसंग खुशियाँ लाईहै फुलवारी। सूरत चंदाहै रोशन चेहरारौनक लाई। हो खुशहालीनन्हें सु-कदमों सेयही कामना। अकेलापनदूर किया इसनेहै उपहार। भाग-दौड़ मेंचिड़िया-सी चहकीसुकून लाई॥ परिचय–तृप्ति तोमर पेशेवर…

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जागना होगा, वर्ना…

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** 'पृथ्वी दिवस' विशेष... जागना होगामर जाएंगे वर्नाबचाओ धरा। दुनिया यहीसबका मूल्य जानोमत बिगाड़ो। हवा चाहिएमन-सुकून लिएपेड़ लगाओ। वायु चाहिएन हो प्रदूषणवन बचाओ। जल कीमतीकम हों रसायनपानी जीवन।…

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स्वयं की खोज

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* फूलों की खुशबू हवा केविपरीत फैलती नहीं,चाहे चंदन, चाहे तगारा होया चमेली या गुलाब हो,इनकी खुशबू अपने स्वभाव के विपरीत फैलती नहीं,परन्तु, अच्छे लोगों की सुगंधहवा…

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चुनाव

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* चुनो सदा उपयुक्त जन, हित जीवन का देख।मानवता सजती रहे, यह ईश्वर का लेख॥ धन-दौलत के मोह में, सभी निरर्थक भाव।सजी सत्यता ही रहे, मिटा…

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खिल उठता प्रेम

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** मौसम की बहारों पर चल,मंदिरों के आँगन चलपेड़ों के सहारे चल,प्रतीक्षालय के तले चलखिल उठता प्रेम। मोबाइल के संग,बाजारों की दुकानों के संगत्योहारों के संग,किसी बहाने के…

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लब्धप्रतिष्ठित संतोष आनंद के आतिथ्य में हुआ पुस्तक विमोचन 

दिल्ली। सुर साहित्य परिषद् की स्थापना के बाद हिन्दी साहित्य परिषद् व हंसराज कॉलेज (दिल्ली विवि) के संयुक्त तत्वावधान में पुस्तक विमोचन, सम्मान समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया…

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चलो शपथ रक्षा की लें

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* 'पृथ्वी दिवस' विशेष.... सदा पृथ्वी की रक्षा करना,विचलित होती धरणी वरना। पोषण करती सबका माता,दूषित जल पर्वत नहीं भाता। धरा हमारी अद्भुत माता,सौर ग्रह है…

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