अनाम रिश्ता

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* जिंदगी की राह में,कई मोड़ आते हैं…कभी किसी मोड़ पर,किसी अजनबी सेरिश्ते बन जाते हैं,वही अजनबीकरीबी हो जाते हैं,जिंदगी में आकर,जिंदगी बन जाते हैं। कुछ ऐसे…

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बच्चियाँ रोती है

एल.सी.जैदिया ‘जैदि’बीकानेर (राजस्थान)************************************ कहीं पर सिसकियाँ रोती है,कहीं पर, हिचकियाँ रोती है। बेरहम हो गया जमाना देखो,अब तो यहां, बच्चियाँ रोती है। बिन सैलानी, है समन्दर सूना,साहिल पर, कस्तियाँ रोती…

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है प्रजातंत्र भारत स्वतंत्र

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** है प्रजातंत्र भारत स्वतंत्र,सार्वभौम हिन्द कहलाते हैंगणतंत्र मुदित संघीय चरित,बन एक राष्ट्र मुस्काते हैं। हर शहीद सपनों का भारत,अरुणाभ प्रगति चमकाएँगेमुस्कान शान्ति खुशियाँ वैभव,नव…

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सावन बरखा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:१४ मात्रा (४ ४ ४ २) सावन बरखा आई है।शीतल जल भर लाई है॥नभ में बादल छाए हैं।पानी भर कर लाए हैं॥ तड़-तड़ बिजली चमके है।सुनकर…

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अंतर्द्वंद्व

वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ बूँद-बूँद वास्तविकता परदो टूक कल्पनाएं,कविताओं की झोली को भरते-मूँद-मूँद सपने। साँस-साँस भरती जीवनचर्या परखन-खन लुढ़कते खुशियों के सिक्के,दूर-दूर से निहारतीएक-एक बीनती-जीवन गाड़ी के बिछड़े अपने। आर-पार सी चीरतीतन-मन…

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विकार की जय-जयकार

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** आज अनूठी रीत चली,लोग विकार मोहित हुएभुवन में है डंका उसका,देख सजीला व्यथित हुए। बन-ठन कर रहता ऐसा,मिथ्या सुरूप दृश्य लगेअभिनय वह ऐसे करता,सत्य सदा अस्पृश्य लगे।…

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सावन सुन्दरी

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)*********************************************** ऐ मेरी सावन सुन्दरी-चुप्पी से हुआ आपका आगमन,झम-झम बजे नूपुर की रुनझुन!ऐ मेरी सावन सुन्दरी-घने काले केश बादल से,छा गई आप आसमाँ में। ऐ मेरी सावन…

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भीगी पलकें सुना रही कहानी

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* भीगी पलकें सुना रही है,एक अनकही मौन कहानी।आँखों में शबनम की बूँदें,लगती प्यारी देख सुहानी॥ सपनों का अंबार लगा है,चैन नहीं मिलता है इनको।खोई रहती…

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हिन्दुस्तान के दुलारे

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हिन्दुस्तान का बेटा, हिन्दुस्तानी अद्भुत माँ के लाल थे।त्याग दिया घर-द्वार क्योंकि, दुश्मनों के वो महाकाल थे। प्यारी वसुन्धरा के लिए, जीवन अपना त्याग दिए थे,दुश्मन…

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राष्ट्रवाद:एक अवलोकन व विवेचना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* `राष्ट्र` की परिभाषा एक ऐसे जन समूह के रूप में की जा सकती है, जो एक भौगोलिक सीमाओं में एक निश्चित देश में रहता हो,…

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