‘डर’ नकारात्मक विचार

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** डर के हैं भिन्न-भिन्न नाम,कहीं भय, त्रास और खौफकहलाता है,अंदेशा और आशंका केनाम से भी यह जाना जाता है,बुरा घटित होने की सम्भावनाही 'डर' कहलाता है,यह सफ़र में विघ्न…

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मंज़र नहीं देखे जाते

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* बाढ़ में डूबे हुए घर नहीं देखे जाते।तर बतर आज के मंज़र नहीं देखे जाते। सख्त सरकार के तेवर नहीं देखे जाते।सर पे लटके…

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सोचो, अगर सावन न हो!

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** रिमझिम अगर सावन न हो,चूड़ी की खन-खन न होसपने मनभावन न हो,नैनों का दर्पण न होसोचो कैसा रहेगा…! अम्बर में बादल न हो,आँखों में काजल न होसजनी…

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कानीन

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** मैं कानीन कर्णबस जीता हूँ,जल समान मैंदर्द पीता हूँ,बता नहीं सकतामैं भी पाण्डव हूँ,कुन्ती पुत्र हूँ परसूतपुत्र कहलाता हूँ।मैं कानीन कर्ण,बस जीता हूँ…॥ छाले दिल के,दिखा नहीं पातादर्द…

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एक पत्थर में रूप

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** एक पत्थर में भी रूप तेरा मिल जाता है,अदृश्य है तू, अक्सर यही कहा जाता है। मंत्र पढ़ते हैं अक्सर खुश करने को तुझे,सुना है मालिक को…

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सावन में बरसे

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचना शिल्प: वर्णिक सवैया, ४ चरण का छंद,चारों चरण समतुकांत होने चाहिए।२२ + (७× सगण ) + २२, मापनी-२२ ११२ ११२ ११२ ११, २ ११२ ११२…

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चाँद से ही रोशन जीवन

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** जीवन की कविता में,हर उपमा झूठी हैवो चाँद ही है जनाब,जिसने वाह-वाही लूटी है। चाँद को बेनकाब न करो यारों,इसकी उपमा तोहर दुल्हन ने भी पाई है,वो…

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अनाम रिश्ता

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* जिंदगी की राह में,कई मोड़ आते हैं…कभी किसी मोड़ पर,किसी अजनबी सेरिश्ते बन जाते हैं,वही अजनबीकरीबी हो जाते हैं,जिंदगी में आकर,जिंदगी बन जाते हैं। कुछ ऐसे…

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बच्चियाँ रोती है

एल.सी.जैदिया ‘जैदि’बीकानेर (राजस्थान)************************************ कहीं पर सिसकियाँ रोती है,कहीं पर, हिचकियाँ रोती है। बेरहम हो गया जमाना देखो,अब तो यहां, बच्चियाँ रोती है। बिन सैलानी, है समन्दर सूना,साहिल पर, कस्तियाँ रोती…

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है प्रजातंत्र भारत स्वतंत्र

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** है प्रजातंत्र भारत स्वतंत्र,सार्वभौम हिन्द कहलाते हैंगणतंत्र मुदित संघीय चरित,बन एक राष्ट्र मुस्काते हैं। हर शहीद सपनों का भारत,अरुणाभ प्रगति चमकाएँगेमुस्कान शान्ति खुशियाँ वैभव,नव…

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