आई दिवाली

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ घर-बाहर है साफ-सफाई,करते हैं सब लोग।हर्ष भरा उत्साह सभी में,करें सभी मनमोद॥ बम-पटाखे-फुलझड़ियों से,जगमग चारों ओर।दीप-दीप मालाओं से हर-घर है भावविभोर॥ जगमग लड़ियों से घर-आँगन,रात अंधेरी में भी।खुशी से झूमें सभी लोग,उजियारी सब जग फैली॥ आएंगे रघुनंदन वन से,आज खुशी में गायें।जाग दिवाली जाग दिवाली,कहकर मोद मनायें॥ लक्ष्मी घर-घर आज सभी … Read more

प्रियतम बिन सूना यह सावन

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** जब पूनम का चँदा देखूँ,मैं दरिया के पानी में।जैसे प्रियतम ने छेड़ा हो,मुझको भरी जवानी मेंllप्रियतम बिन सूना यह सावन,अब तो प्रियतम आ जाओ,तन-मन मचल रहा है मेरा,कुछ तो आन लजा जाओll माथे की बिंदिया बुला रही है,काजल की आवाज सुनो,गजरा झुमकी कंगन नथनी,इनके भी तो साज सुनो।बिन खुशबू-सी बगिया अपनी,आकर तुम … Read more

हे लाल तुम्हारा अभिनन्दन है

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** जिनकी खातिर व्यक्ति नहीं ये,देश समूचा अपना है।जिन आँखों में भारत माँ की,माटी का ही सपना है॥ वतन परस्ती में छोड़ा है,अपने घर परिवारों को,जो जीवन में भूल गए हैं,मौसम और बहारों को।शोणित का जो तिलक लगाते,माटी जिनका चंदन है,रण के प्रण से बंधे हुए हे लाल तुम्हारा अभिनन्दन है॥ तुमने माँ … Read more

हे! कलियुग के राम

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’ इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) ************************************************* हे! कलियुग के राम आज,जग में अवतारो।मन के भीतर छिपे घोर,रावण को मारोllगाँव-नगर में बजे नहीं,रावण का डंका।करो लक्ष्य संधान हनू,अब लंका बारोllहे! कलियुग के राम… सोने के मृग घर-बाहर,सब घूम रहे हैं,सीताओं की देह गंध,को सूंघ रहे हैं।लक्षित रेखाएं खींचों,तुम अपनी सीता,क़दम न रावण रख पाये,उसको संहारोllहे! कलियुग … Read more

वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************************** वो होती थी बैरन रात,रात,लिखती थी मन की बातlबात-बात में करती थी इज़हार,वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यारll बार-बार कागज को फाड़,फाड़,लिखती थी सौ-सौ बारlबार,आने की करती मनुहार,वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार…ll उसमें बसती थी आस,आस,प्यास,दिल की साँसlसाँस,इन अँसुअन की धार,वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार…ll सीने से लगा घबराती,घबराती,डाकिए को दे पातीlपाती,सबसे लगता था डार,वो … Read more

तुम दीप जलाना

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)*************************************************** (रचना शिल्प:१६/१२,सार छंद) दीपों से तुम दीप जलाना,मन में प्यार जगाना।घर-आँगन महके हर कोना,ऐसा पुष्प खिलाना॥ दूर हटे अँधियारा जग से,फैले ज्ञान उजाला।कर्म साधना हो नित ऐसा,सदा मिले गल माला॥जगमग मन मन्दिर को करना,हँसना और हँसाना।घर-आँगन महके हर कोना… प्रेम जगत में सबसे करना,कोई नहीं पराया।मानव जीवन मोल समझना,कुछ दिन … Read more

नारी जीवन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************** शम्मा-सा जलता है पल-पल,और पिघलता नारी जीवन।देकर घर भर को उजियारा,आँखें मलता नारी जीवनll कर्म निभाती है वो तत्पर,हर मुश्किल से लड़ जाती,गहन निराशा का मौसम हो,तो भी आगे बढ़ जातीlपत्नी,माँ के रूप में सेवा,तो क्यों खलता नारी जीवन,देकर घर भर को उजियारा,आँखें मलता नारी जीवन…ll संस्कार सब उससे चलते,धर्म … Read more

उड़ जाने को जी करता है

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)*********************************************** सपनों वाले पंखों से फिर,उड़ जाने को जी करता है।बचपन के उन गलियारों में,मंडराने को जी करता है॥ थका-थका लगता मेरा मन,है बोझिल-बोझिल सा जीवन।याद आ रहा है मुझको अब,हरा-भरा वो घर का आँगन॥गाँवों की प्यारी चौपालें,झुकी हुईं वो तरु की डालें।उन डालों पर बैठे-बैठे,फल खाने को जी करता है॥ आते … Read more

अपनी भाषा हिंदुस्तानी

अख्तर अली शाह `अनन्त`नीमच (मध्यप्रदेश) ********************************************** सत्य अहिंसा न्याय दया की,रही सदा जो पटरानी।दुनिया में आला सबसे,हिंदी भाषा हिंदुस्तानी॥ नस-नस में है खून हिंद का,हिंदुस्तानी ऑन रहे।पले हिंद की भूमि में हम,हिंदी ही अभिमान रहे॥संस्कृति भाषा भूषा का,नहीं जहां सम्मान रहे।मानवता को दफनाने का,ही सचमुच सामान रहे॥है संकल्प यही हिंदी हित,देंगे हम हर कुर्बानी।दुनिया में … Read more

बेटी बनकर जो जन्मी थी…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************** बेटी बनकर जो जन्मी थी,वो ही कल माँ बन जाएगी।जीवन को जग में लाने के,दस्तूर वही तो निभाएगी।बेटी बनकर जो जन्मी थी… ओ जग वालों कुछ तो समझो कितने दु:ख सहती है नारी,नव-जीवन को नौ माह उदर में अपने रखती है नारी।ना कोई आस कभी वो करे,सन्तान के सारे … Read more